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घर में है कोरोना का मरीज तो बरतें ये जरूरी सावधान‍ियां

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Published : May 4, 2021, 9:00 AM IST

अगर घर का कोई सदस्य कोरोना पॉजिटिव हो जाता है तो उसे घर में ही रखते हुए घरवाले कौन सी सावधानियां बरतें. इस बारे में ईटीवी भारत ने चंडीगढ़ पीजीआई के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डॉक्टर सोनू गोयल से खास बातचीत की.

चंडीगढ़ पीजीआई
चंडीगढ़ पीजीआई

चंडीगढ़ :कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन अस्पतालों में केवल गंभीर मरीजों को ही भर्ती किया जा रहा है. ऐसे में अगर घर का कोई सदस्य कोरोना पॉजिटिव हो जाता है तो उसे घर में ही रखते हुए घरवाले उसका ध्यान रख सकते हैं, लेकिन इस दौरान घरवालों को कुछ सावधानियों का भी ध्यान रखना होगा. इसे लेकर ईटीवी भारत ने चंडीगढ़ पीजीआई के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डॉक्टर सोनू गोयल से खास बातचीत की है.

सर्जिकल मास्क का ही इस्तेमाल करें और बरतें ये सावधानियां

अगर घर का कोई सदस्य कोरोना पॉजिटिव हो जाता है तो परिवार के लोग उसकी देखभाल करने से डरते हैं, लेकिन डरने की बजाए परिवार के अन्य सदस्य कुछ सावधानियों का पालन करके कोरोना संक्रमित सदस्य का ख्याल रख सकते हैं. चंडीगढ़ पीजीआई के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डॉक्टर सोनू गोयल का कहना है कि मुख्य तीन सावधानियां हैं. सबसे पहले तो इस बात को निश्चित करना चाहिए कि घर के लोग किसी भी सूरत में मरीज के संपर्क में बिल्कुल ना आएं.

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डॉ. सोनू गोयल का कहना है कि कोरोना के मरीज को हम घर में अलग कमरे में तो रखते ही हैं. इसके अलावा हमें अन्य कई सावधानियां बरतनी होती हैं, जैसे कई लोग कोरोना मरीज के घर में होते हुए भी कपड़े के मास्क इस्तेमाल करते हैं, जो बेहद गलत है. घर के लोगों को हमेशा सर्जिकल मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए.

इसके अलावा मरीज को खाना या अन्य सामान देते समय खास सावधानी बरतने की जरूरत है. इसके लिए मरीज के कमरे के दरवाजे के पास एक टेबल रखें, जो भी खाना या सामान मरीज को देना है. वह उस टेबल पर रख दें और उसके बाद वहां से हट जाएं. ताकि मरीज वहां खुद सामान को उठा ले. ऐसा करने से मरीज के पास सभी सामान भी पहुंच जाएगा और परिवार के लोग इसके संपर्क में भी नहीं आएंगे.

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सावधानी के बारे में बात करते हुए डॉ. गोयल ने बताया कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज़ को बंद कमरे में रहना पड़ता है, जिससे वह अकेलेपन का शिकार हो सकता है, क्योंकि कमरे में उसके साथ कोई अन्य सदस्य मौजूद नहीं होता. इसलिए उन मरीजों से बार-बार बात करना और उन्हें प्रेरित करना बेहद जरूरी होता है, लेकिन परिवार के सदस्य उसके पास बैठ कर उससे बात नहीं कर सकते. इसलिए जब भी उनसे बात करें, तब हमेशा फोन का इस्तेमाल करें. ऐसा करने से परिवार के लोग मरीज से बात भी कर पाएंगे और उसके संपर्क में आने से भी बच भी जाएंगे.

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