पानीपत: होली का त्योहार देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है. देश के अलग-अलग इलाकों में होली का त्योहार अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. कहीं लट्ठमार होली, कहीं फूलों की होली तो कहीं कोड़ा मार होली मनाई जाती है. हरियाणा की पारंपरिक डाट होली का इतिहास सदियों पुराना है. वहीं, आज हम आपको ऐसे अलग तरह की होली मनाने की परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पूरा गांव एक जगह पर इकट्ठा होकर डाट होली मनाता है.
क्या है डाट होली?: डाट का हरयाणवी भाषा में मतलब है सामने से रोकना. डाट होली में 36 बिरादरी के लोग इकट्ठा होते हैं. होली की इस परंपरा में गांव के सभी पुरुष दो भागों में बट जाते हैं और आमने सामने से टकराते हुए एक दूसरे को क्रॉस करने की कोशिश करते हैं जो क्रॉस कर जाता है उसे जीता हुआ मान लिया जाता है. जब इन दोनों ग्रुप का आपस में टकराव होता है तो इनके ऊपर कई दिनों से गांव में ही तैयार किया हुआ रंग बरसाया जाता है. महिला बच्चे सभी इस होली को देखने के लिए उत्साहित रहते हैं.
1288 से शुरू हुई थी परंपरा: पानीपत के बाहर गांव की होली की यह परंपरा 1288 में अंग्रेजी शासनकाल के दौरान हुई थी. इस गांव के सभी युवा इकट्ठा होकर एकजुटता का प्रमाण देने के लिए होली मनाते थे अंग्रेजों द्वारा इस होली के त्योहार पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के बाद 1 साल में ही इस डाट होली को दोबारा से मनाया गया और आज तक यह परंपरा इसी तरह चलती आ रही है.