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Holi 2023 : ऐसे मनायी जाती है देश के अलग-अलग राज्यों में होली, जानिए खास तौर-तरीके

होली का त्योहार धीरे-धीरे दस्तक देने लगा है. होली के आगमन के पहले जानने की कोशिश करते हैं कि हमारे देश के अलग-अलग राज्य में किस तरह से होली का त्योहार मनाया जाता है. डालिए एक नजर...

Different States Holi Traditions
राज्यों में होली की परंपरा

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Published : Feb 25, 2023, 2:56 AM IST

हमारे देश में होली का त्योहार अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. वैसे तो हमारे देश में सर्वाधिक चर्चित ब्रज की होली कही जाती है, लेकिन उत्तर प्रदेश के साथ साथ राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड और बिहार में भी काफी अलग तरीके से होली मनाने की परंपरा है. तो आइए होली के आगमन के पहले जानने की कोशिश करते हैं कि किस राज्य में किस तरह से होली का पर्व मनाया जाता है.

आप सभी को मालूम होगा कि ब्रज की होली पूरे देश में आकर्षण का केंद्र बिंदु कही जाती है. बरसाने की लठमार होली तो वैसे ही काफी प्रसिद्ध है, जहां पर पुरुषों के रंगों का जवाब महिलाएं उन्हें लाठियों और कपड़े के बने कोड़ों से देती हैं. इस परंपरा का निर्वहन पूरे ब्रज इलाके में कई दिनों तक किया जाता है. मथुरा वृंदावन के साथ-साथ ब्रज क्षेत्र के अन्य जिलों में हर्ष और उल्लास के साथ 15 दिनों तक होली का त्योहार मनाया जाता है.

पहाड़ी राज्य में होली की परंपरा

उत्तराखंड के इलाके में मनाई जाने वाली पहाड़ की होली की बात करें तो कुमाऊं इलाके की बैठकी होली काफी चर्चित रहती है. इसके साथ साथ खड़ी होली की भी परंपरा है. यहां पर शास्त्रीय संगीत के जरिए होली का त्यौहार गीतों के साथ मनाया जाता है. महिलाओं के द्वारा भी खास तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. यह कार्य होली के कई दिन पहले शुरू हो जाता है और इसमें स्थानीय कलाकार अपने हुनर का परिचय देते हैं.

हरियाणा में होली की परंपरा

हरियाणा राज्य में धुलंडी का त्योहार काफी जोशो खरोश के साथ मनाया जाता है यहां पर देवर भाभी के रिश्तों का होली पर खास रंग दिखता है. हरियाणा में देवरों को भाभी जमकर सताती हैं. होली में हरियाणा इलाके में देवर भाभी पर पूरे माह होली के रंग चढ़े दिखते हैं.

छत्तीसगढ़ के इलाके में होरी में लोक गीतों की अद्भुत परंपरा है, वहीं मध्यप्रदेश के मालवा अंचल के आदिवासी इलाकों में इसको काफी जोश के साथ धूमधाम से मनाया जाता है. यहां भगोरिया को होली के रूप में मनाया जाता है. बिहार का फगुआ बड़ा अनोखा होता है. इस दिन लोग जमकर मौज मस्ती करते हैं.

बंगाल में होली की परंपरा

देश के पूर्वा राज्य पश्चिम बंगाल में बंगाली समुदाय के लोगों दोल जात्रा चैतन्य महाप्रभु के जन्मदिन के रूप में रंग व गुलाल के साथ मनाई जाती है. इस दौरान समुदाय के लोग रंगों में रंगकर जलूस निकलते हैं और दिनभर गाना बजाना भी चलता रहता है.

मराठी समुदाय में होली की परंपरा

इसके साथ ही साथ महाराष्ट्र में मराठी समुदाय के लोग रंग पंचमी मनाते हैं. मराठी लोग देश के हर कोने में अपने हिसाब से रंग पंचमी मनाते हैं. इस दिन लोग राधा-कृष्ण को रंगीन अबीर गुलाल अर्पित करते हुए दिन में गाने बजाने के साथ जुलूस भी निकालते हैं. वैसे रंग पंचमी को देवताओं की होली भी कहकर संबोधित किया जाता है. रंग पंचमी के लिए लोग आसमान की ओर गुलाल फेंककर होली मनाते हैं. मराठी लोगों की मान्यता है कि इस तरह से गुलाल फेंकने से उनके आराध्य और देवी देवता प्रसन्न हो जाते हैं. जब उनको अर्पित गुलाल वापस नीचे आकर जमीन पर गिरता है, तो उससे आसपास का पूरा इलाका पवित्र हो जाता है.

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पंजाब में होली के दिन होला मोहल्ला मनाया जाता है और इस दिन सिक्खों द्वारा शक्ति प्रदर्शन की पुरानी परंपरा मनायी जाती है. होला-मोहल्ला एक ऐसा त्योहार होता है, जिसे श्री आनंदपुर साहिब में होलगढ़ नामक स्थान पर गुरु जी ने शुरू की थी. होले मोहल्ले की रीति शुरू करने के पीछे अपने शौर्य का परिचय दिया जाता है, जिसमें पैदल तथा घुड़सवार शस्त्रधारी दो ग्रुपों में तैयारी करके शौर्य का परिचय देते हैं.

तमिलनाडु में होली की परंपरा

तमिलनाडु की कमन पोडिगई के रूप में मुख्य रूप से कामदेव की कथा पर आधारित वसंतोत्सव मनाया जाता है. यह दिन होली का दिन खास तौर पर आयोजित होता है. कामदेव को भस्म किए जाने के बाद रति के विलाप को लोक संगीत के रूप में गाया जाता है. साथ ही चंदन की लकड़ी को अग्नि में समर्पित किया जाता है, ताकि कामदेव को भस्म होने में पीड़ा ना हो. इसके बाद कामदेव के फिर से जीवित होने की खुशी में रंगों के इस त्योहार को मनाया जाता है.

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मणिपुर में में होली की परंपरा

जबकि मणिपुर के इलाकों में याओसांग मनाया जाता है. पांच दिवसीय याओसांग का त्योहार मणिपुर के प्रमुख त्योहारों में गिना जाता है. इस त्यौहार में सारे समुदाय के लोग एक साथ शामिल होते हैं. फरवरी-मार्च महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला पांच दिवसीय त्यौहार कार्यक्रम काफी पसंद किया जाता है. आम तौर इस त्योहार को होली मनाए जाने के साथ ही मनाया जाता है. उस दिन नन्हीं झोंपड़ियां तैयार की जाती हैं. फाल्गुन पूर्णिमा के दिन राज्य के अधिकांश इलाके में नदी अथवा सरोवर के किनारे जाकर झोपड़ी बनाते हैं. साथ ही रंग गुलाल उड़ाते हैं.

गुजरात में भी होली अन्य हिंदीभाषी राज्यों की तरह मनायी जाती है, लेकिन दक्षिण गुजरात के आदिवासियों के लिए होली एक बड़ा पर्व बनकर आता है, जिसे काफी धूमधाम से मनाया जाता है.

वहीं गोवा के शिमगो भी में रंगों के साथ जलूस निकालने के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन की परंपरा है.

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