चंडीगढ़ :10 मार्च को दुर्गा अष्टमी है. इसी दिन अन्नपूर्णा अष्टमी और होलाष्टक भी है. मार्च में आने वाली अष्टमी पर हर साल यह संयोग बनता है और यह हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार एक बेहद महत्वपूर्ण संयोग है. इस दिन मां भगवती की पूजा करने से मनचाही इच्छा पूरी होती है और हिंदू धर्म में इस दिन को खास दिन के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन को किस तरह से मनाना चाहिए और पूजा पाठ किस विधि विधान के साथ करना चाहिए. इस बारे में जानिए आचार्य अरुण प्रकाश से.
जिंद बाबा संस्कृत महाविद्यालय चंडीगढ़ के प्राचार्य आचार्य अरुण प्रकाश ने बताया कि हिंदू धर्म में यह दिन खास महत्व रखता है क्योंकि इस दिन दुर्गाष्टमी के साथ-साथ अन्नपूर्णा अष्टमी भी होती है और जो लोग मां अन्नपूर्णा से सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए यह यह दिन और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है. उन्होंने बताया कि लोग अष्टमी से पहले 8 दिन व्रत करते हैं और आठवें दिन इस त्योहार को मनाते हैं यह बेहद शुभ दिन होता है लेकिन इसी दिन होलाष्टक भी शुरू हो जाता है जो होलिका दहन तक चलता है यह भी 8 दिन का होता है और इस बीच घर में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता जैसे पूजा पाठ करना नए वाहन खरीदना मुंडन करवाना आदि. उन्होंने बताया कि होलिका दहन के बाद समाप्त हो जाता है.
होली अष्टमी, अन्नपूर्णा अष्टमी और होलाष्टक, जानिए पूजा समय और विधि उन्होंने बताया कि इस दिन लोग अन्नपूर्णा की पूजा भी करते हैं. यह पूजा करने से घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती.इस दिन मां भगवती को अन्नपूर्णा का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है. इस दिन आंवले की पूजा का विशेष महत्व है, आंवले के पेड़ की पूजा करने से स्वास्थ्य में वृद्धि होती है और दीर्घायु प्राप्त होती है.
पूजा करने का समय -पूजा करते वक्त समय का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. सुबह 6:00 बजे से लेकर दोपहर 2:00 बजे तक पूजा की जा सकती है क्योंकि दोपहर 2:00 बजे के बाद होलाष्टक शुरू हो जाएगा और उस समय पूजा नहीं की जाती.
पूजा करने की विधि-आचार्य अरुण प्रकाश ने कहा कि अष्टमी के दिन मां भगवती की पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठाकर स्नान आदि करने के बाद मां भगवती का ध्यान लगाएं और हाथ में एक लालफूल रखें इसके बाद मां भगवती को नमन करें. उसके बाद मां भगवती के चरण धोएं, उन्हें वस्त्र पहनाएं, जिसमें हम उन्हें चुनरी ओढ़ा सकते हैं और उन्हें तिलक करें. मां भगवती को फूल और फल चढ़ाएं. माता को लाल फूलों का हार पहनाएं, नारियल चढ़ाएं, धूपबत्ती करें और लड्डू का प्रसाद चढ़ाएं. उन्होंने कहा कि इस दिन हलवे का महत्व ज्यादा माना जाता है. इसके बाद मां भगवती के सामने ही नारियल को फोड़ना चाहिए और उसका आधा भाग मां भगवती को अर्पित करना है और बाकी आधे भाग के चार टुकड़े कर चारों दिशाओं में फेंक देने हैं. इस दिन मां दुर्गा को विशेष तौर पर मीठा पान चढ़ाने के साथ दक्षिणा अर्पित करनी चाहिए. उन्होंने बताया कि इसके बाद लोग नित्यक्रर्म कर सकते हैं और व्रत के जो नियम है उनका पालन करना चाहिए.
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व्रत के नियम-व्रत करने के लिए पूजा पाठ के साथ-साथ कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है जैसे उस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करना बेहद जरूरी है. इसके लिए उसका खानपान अच्छा होना चाहिए, लेकिन इस दिन मांस, मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दिन साथ एक भोजन करना चाहिए और भोजन में प्याज, लहसुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. साथ ही शाम को मां भगवती को हलवे का प्रसाद लगाने के बाद उस प्रसाद को खाने के बाद ही कोई दूसरी चीज खानी है.
इच्छा प्राप्ति के लिए क्या करें-आचार्य अरुण प्रकाश ने बताया कि जो लोग अपनी कोई इच्छा को पूरा करना चाहते हैं उनके लिए भी अष्टमी के दिन का खास महत्व है. उन्होंने कहा कि शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन उन्हें मां भगवती की पूजा करनी है. मां भगवती की पूजा करने के लिए एक नारियल लेकर उस पर मौली का धागा बांधना है और उस पर सवा रुपवे, ₹11 या ₹21 की दक्षिणा रखनी चाहिए. इसके बाद मां भगवती को यह नारियल अर्पित करना चाहिए. साथ में मीठा पान और एक हार मां भगवती को चढ़ाना चाहिए व इस प्रसाद को वहीं छोड़ कर वापस आ जाना चाहिए. ऐसा 5 अष्टमी तक करने से इच्छा की पूर्ति होती है. जिन लोगों की शादी नहीं हो रही है उनकी भी शादी हो जाएगी और जिन लोगों का कारोबार नहीं चल रहा है उनका कारोबार चलना शुरू हो जाएगा या और भी कोई इच्छा है वह पूरी हो जाएगी. उन्होंने कहा कि मां भगवती की पूजा के दौरान मीठा पान अवश्य चढ़ाना चाहिए क्योंकि मीठे पान को ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है.