गढ़वाल विवि के भूगर्भ विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. एमपीएस बिष्ट का बयान श्रीनगर (उत्तराखंड): एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने फ्रांस के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर एक चौंकाने वाला शोध किया है. जिसके तहत वैज्ञानिकों ने बीकानेर के कोयले की खदानों से 53 करोड़ साल पुराना कॉकरोच का जीवाश्म खोजा है. इस खोज के बाद विवि के वैज्ञानिकों का यह शोध विश्व के प्रसिद्ध जर्नलजुटैक्सा (Zootaxa) में पब्लिश हो चुका है.
वैज्ञानिकों ने खोजे जीवाश्म अब वैज्ञानिक इस शोध की मदद से इन कीट पतंगों के जीवाश्म के जरिए उस समय के वातावरण के बारे में भी अध्ययन कर रहे हैं. शुरुआती अध्ययन में पता चला है कि तब भी इस इलाके का वातावरण गर्म था और यहां घने जंगल भी मौजूद थे, लेकिन तब यहां इतना बड़ा रेगिस्तान नहीं था. खदान में मिले जीवाश्मों की लंबाई 1 एमएम से 13 एमएम के बीच है.
53 करोड़ साल पुराने जीवाश्म हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर राजेंद्र सिंह राणा और उनके शोध छात्र डॉक्टर रमन पटेल भारत के विभिन्न इलाकों में जीवाश्म की खोज में जुटे हैं. वे लंबे समय से राजस्थान की बीकानेर की कोल खदानों में जीवाश्मों की खोज कर रहे हैं. इसी खोज के दौरान उन्हें इन खदानों में 3 तरह के जीवाश्म मिले हैं.
ये भी पढ़ेंःबदरीनाथ तप्त कुंड में मिली सूक्ष्म शैवाल की दुर्लभ प्रजाति, बायोडीजल बनाने में है सक्षम
पहला जीवाश्म उन्हें कॉकरोच के रूप में मिला है. इसके अलावा उन्हें खटमल की तरह दिखने वाले कीट का भी उन्हें इन खदानों में जीवाश्म मिला है. इसके साथ ही उन्हें कैटरपिलर जैसे कीड़े मकौड़ों के जीवाश्म भी मिले हैं. बताया जा रहा है कि यह जीवाश्म करीब 53 मिलियन ईयर पुराने हैं. अब वैज्ञानिक इसके जरिए करोड़ों साल पुराने वातारवण, रहन सहन, खानपान का भी अध्ययन कर सकेंगे.
गढ़वाल विवि के भूविज्ञान विभाग के विभागध्यक्ष प्रोफेसर एमपीएस बिष्ट ने बताया कि गढ़वाल विवि का भूगर्भ विज्ञान पहले से ही इस तरह की खोजों में जुटा है, लेकिन प्रोफेसर राजेंद्र सिंह राणा और उनके शोध छात्र डॉक्टर रमन पटेल की यह एक बड़ी उपलब्धि है, इस शोध के जरिए करोड़ों साल पुराने जीवाश्म के बारे में अध्ययन करने में छात्रों को मदद मिल सकेगी. साथ ही परजीवियों के एक्टिविटी के बारे में पता चल सकेगा.
ये भी पढ़ेंःश्रीनगर की फिजाओं में तेजी से घुल रहा जानलेवा SO2, गढ़वाल विवि के वैज्ञानिकों की स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा
प्रोफेसर एमपीएस बिष्ट ने बताया ने सभी वैज्ञानिक अब खोजे गए जीवाश्म की मदद से उस समय के क्लाइमेट के बारे में भी पता कर रहे हैं. ऐसे में अब वहां की दलदली भूमि बारे में भी ज्यादा जानकारी मिल सकेगी. बता दें कि इस शोध में गढ़वाल विवि के अलावा फ्रांस के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के वैज्ञानिक भी शामिल रहे.