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'मैंने पीएम मोदी के दर्द को नजदीक से देखा', गुजरात दंगों पर अमित शाह का खास इंटरव्यू - नरेंद्र मोदी न्यूज

गृह मंत्री अमित शाह ने 2002 में गुजरात दंगों को लेकर एएनआई की संपादक स्मिता प्रकाश को इंटरव्यू दिया. उन्होंने SC के फैसले, मीडिया की भूमिका, गैर सरकारी संगठनों के राजनीतिक दलों, न्यायपालिका में मोदी के विश्वास पर बात की.

गुजरात दंगों पर अमित शाह का खास इंटरव्यू , Amit Shah Gujarat riots interview
गुजरात दंगों पर अमित शाह का खास इंटरव्यू , Amit Shah Gujarat riots interview

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Published : Jun 25, 2022, 10:15 AM IST

Updated : Jun 25, 2022, 1:17 PM IST

नई दिल्ली :गृह मंत्री अमित शाह ने 2002 में गुजरात दंगों को लेकर एएनआई की संपादक स्मिता प्रकाश को इंटरव्यू दिया. उन्होंने SC के फैसले, मीडिया की भूमिका, गैर सरकारी संगठनों के राजनीतिक दलों, न्यायपालिका में मोदी के विश्वास पर बात की. उन्होंने कहा कि 18-19 साल की लड़ाई, देश का इतना बड़ा नेता एक शब्द बोले बगैर सभी दुखों को भगवान शंकर के विषपान की तरह गले में उतारकर सहन कर लड़ता रहा और आज जब अंत में सत्य सोने की तरह चमकता हुआ आ रहा है, तो अब आनंद आ रहा है.

गृह मंत्री अमित शाह का इंटरव्यू.

उन्होंने कहा कि मैंने मोदी जी को नजदीक से इस दर्द को झेलते हुए देखा है क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया चल रही थी तो सब कुछ सत्य होने के बावजूद भी हम कुछ नहीं बोलेंगे.. बहुत मजबूत मन का आदमी ही ये स्टैंड ले सकता है. उन्होंने कहा कि मोदी जी से भी पूछताछ हुई थी लेकिन तब किसी ने धरना-प्रदर्शन नहीं किया था और हमने कानून को सहयोग दिया और मेरी भी गिरफ़्तारी हुई थी लेकिन कोई भी धरना-प्रदर्शन नहीं हुआ था. जिन लोगों ने मोदी जी पर आरोप लगाए थे अगर उनकी अंतरात्मा है तो उन्हें मोदी जी और बीजेपी नेता से माफी मांगनी चाहिए.

गुजरात दंगों में सेना को नहीं बुलाने के सवाल पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि जहां तक गुजरात सरकार का सवाल है हमने कोई लेटलतीफी नहीं की, जिस दिन गुजरात बंद का एलान हुआ था उसी दिन हमने सेना को बुला लिया था. गुजरात सरकार ने एक दिन की भी देरी नहीं की थी और कोर्ट ने भी इसका प्रोत्साहन किया है. लेकिन दिल्ली में सेना का मुख्यालय है, जब इतने सारे सिख भाइयों को मार दिया गया, 3 दिन तक कुछ नहीं हुआ. कितनी SIT बनी? हमारी सरकार आने के बाद SIT बनी. ये लोग हम पर आरोप लगा रहे हैं?

गुजरात दंगों को रोकने के लिए पुलिस और अधिकारियों के कथित कुछ न कर पाने के सवाल पर गृह मंत्री ने कहा कि बीजेपी विरोधी राजनीतिक पार्टियां, कुछ विचारधारा के लिए राजनीति में आए पत्रकार और एनजीओ ने मिलकर आरोपों का इतना प्रचार किया. इसका इकोसिस्टम इतना मजबूत था कि लोग इनको ही सत्य मानने लगे. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मोदी जी एसआईटी के सामने कोई नाटक करते हुए नहीं गए थे कि मेरे समर्थन में आओ और धरना दो. हमारा मानना ​​​​था कि हमें कानूनी प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए.

पढ़ें: गुजरात दंगा: PM मोदी को क्लीन चिट के खिलाफ जाकिया जाफरी की याचिका खारिज

अगर एसआईटी सीएम से सवाल करना चाहती है और सीएम खुद सहयोग करने को तैयार है तो फिर आंदोलन किस चीज का? गृह मंत्री ने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि जाकिया जाफरी किसी और के निर्देश पर काम करती थी. एनजीओ ने कई पीड़ितों के हलफनामे पर हस्ताक्षर किए और उन्हें पता भी नहीं है. सब जानते हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ की एनजीओ ये सब कर रही थी और उस समय की आई यूपीए की सरकार ने एनजीओ की बहुत मदद की है. गुजरात में हमारी सरकारी थी लेकिन यूपीए की सरकार ने एनजीओ की मदद की है.

सब जानते हैं कि ये केवल मोदी जी की छवि खराब करने के लिए किया गया था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ट्रेन में आग लगने के बाद की घटनाएं पूर्व नियोजित नहीं बल्कि स्वप्रेरित थी और तहलका द्वारा स्टिंग ऑपरेशन को भी खारिज कर दिया क्योंकि इसके आगे-पीछे का जब फुटेज आया तब पता चला कि ये स्टिंग राजनीतिक उद्देश्य से किया गया था. उन्होंने कहा कि गुजरात मॉडल जरूर बना है, हमने देश के हर गांव में सबसे पहले 24 घंटे बिजली पहुंचाने का काम किया है. देश के अंदर 12 साल में शून्य ड्रॉपआउट अनुपात और प्राथमिक शिक्षा में 99% से अधिक बच्चों का नामांकन सुनिश्चित किया. जहां तक दंगों का सवाल है तो आप 5 साल बीजेपी और कांग्रेस के शासन काल की तुलना करें तो पता चल जाएगा कि किसके शासन में अधिक दंगे हुए. मोदी जी ने उदाहरण पेश किया कि कैसे संविधान का सम्मान किया जा सकता है.

गुजरात दंगों में हुई थी एहसान जाफरी की मौत : कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे. इससे एक दिन पहले गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोग मारे गए थे. इन घटनाओं के बाद ही गुजरात में दंगे भड़क गए थे. इन दंगों में 1044 लोग मारे गए थे, जिसमें से अधिकतर मुसलमान थे. इस संबंध में विवरण देते हुए, केंद्र सरकार ने मई 2005 में राज्यसभा को सूचित किया था कि गोधरा कांड के बाद के दंगों में 254 हिंदू और 790 मुस्लिम मारे गए थे.

शीर्ष अदालत ने जकिया की याचिका पर पिछले साल नौ दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था. शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान एसआईटी ने कहा था कि जकिया के अलावा किसी ने भी 2002 दंगे मामले में हुई जांच पर सवाल नहीं उठाए हैं. इससे पहले जकिया के वकील ने कहा था कि 2006 मामले में उनकी शिकायत है कि एक बड़ी साजिश रची गई, जिसमें नौकरशाही की निष्क्रियता और पुलिस की मिलीभगत थी और अभद्र भाषा एवं हिंसा को बढ़ावा दिया गया.

Last Updated : Jun 25, 2022, 1:17 PM IST

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