भोपाल। कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (HUT) के खिलाफ एमपी एटीएस (mp anti terrorism squad) ने 9 मई को बड़ी कार्रवाई की. एक साथ देश के 3 स्थानों पर छापामार कार्रवाई करके कुल 16 सदस्यों को गिरफ्तार किया, इनमें 10 भोपाल से, 1 छिंदवाड़ा से और 5 हैदराबाद से पकडाए. अदालत में पेश करके इन्हें रिमांड पर लिया और 19 मई को दोबारा कोर्ट से रिमांड मांगी, लेकिन कोर्ट ने 16 में से 10 को पुलिस रिमांड दी और बाकियों ज्यूडिशियल रिमांड पर जेल भेज दिया. इस दौरान की गई पूछताछ में कई बड़े खुलासे हुए हैं, पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सभी 16 सदस्यों ने भोपाल में 2 तरह के कैंप शुरू कर दिए थे. पहला धर्मांतरण कैंप (conversion camp), जो मोहल्लों में तकरीर देकर चलाया जाता था, और दूसरा हथियार चलाने का ट्रेनिंग कैंप.
एमपी के जंगलों में एचयूटी के ट्रेनिंग कैंप: दरअसल हिज्ब-उत-तहरीर से जुड़े 16 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था, तो उस वक्त केवल रायसेन के जंगलों का ही नाम आया था, लेकिन रिमांड में की गई पूछताछ से पता चला कि न केवल रायसेन बल्कि भोपाल के सबसे करीब वाले जंगल में भी कैंप चलाते थे. जगदीशपुर (पूर्व में इस्लाम नगर) से आगे ईंटखेड़ी के पास बीनापुर के जंगलों में इन्होंने कैंप बनाया था, यह क्षेत्र ईंटखेड़ी, गुनगा और परवलिया थाना क्षेत्र की सीमा से सटा हुआ है. वहीं रायसेन के समरधा जंगल में इन्होंने कैंप बनाया था, यह कैंप टेंट या पक्का निर्माण करके नहीं बनाए थे, बल्कि ओपन कैंप थे. बकौल जांच अधिकारी इन्होंने ग्रुप बनाए थे, यह लोग 12-12 के ग्रुप में ट्रेनिंग लेते थे. एक साथ जाने की बजाय अलग-अलग बाइक और जीप के जरिए तय लोकेशन पर पहुंचते थे, सभी के पास छर्रे वाली गन हुआ करती थी. चूंकि यह गन आर्म्स एक्ट के तहत नहीं आती, यानी इसे इस्तेमाल करना कानूनन अपराध नहीं है, तो इसका ही इस्तेमाल ट्रेनिंग में किया जाता था. यह लोग इन्हीं 2 इलाकों में जगह बदल बदलकर ट्रेनिंग के दौरान एक 4 से 5 सदस्य सभी दिशाओं में तैनात किए जाते, जिससे किसी के आने पर इशारा किया जा सके. वहीं लोकल लाेग देख भी ले तो लगे कि घूमने आए हैं, जब अफसरों से पूछा कि क्या इनके पास बम, बंदूक, पिस्टल या दूसरे हथियार मिले तो इससे इंकार कर दिया और मानव बम वाली बात को अफवाह बताया.
18 साल से थे सक्रिय, 1 साल पहले आए रडार पर: HUT संगठन की गतिविधियां करीब 18 साल पहले भोपाल और मप्र में शुरू हुई, एक्टिविटी इतनी साइलेंट मोड पर चल रही थी कि कभी भी लोकल पुलिस और इंटेलीजेंस को भनक तक नहीं लगी. लेकिन एक साल पहले एमपी एटीएस के रडार पर यह लोग आए. एटीएस को पता चला कि शहर के साथ ग्रामीण इलाकों में धर्मांतरण के प्रयास चल रहे हैं और दुनिया का बेहद खतरनाक माने जाने वाला हिज्ब उत तहरीर संगठन के तार इससे जुड़े हैं, तो मामला चौंकाने वाला लगा. इसके बाद शहर की तमाम गतिविधियों पर नजर रखी जाने लगी, तो पता लगा कि तहरीक-ए-खिलाफत मध्यप्रदेश में कैसी-कैसी गतिविधियां चला रहा था. हैरानी की बात ये थी कि संगठन के सदस्यों को उनके परिवार की महिलाओं का भी पूरा समर्थन प्राप्त था.