दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

अदालत ने कहा- एचआईवी पीड़ित वेश्यावृत्ति समाज के लिए खतरा, ब्रेनवॉश जरूरी - ब्रेनवॉश जरूरी

मुंबई की एक सत्र अदालत ने एचआईवी पॉजिटिव वेश्यावृत्ति पीड़िता की दो साल की कस्टडी को बरकरार रखा है. कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा कि अगर उसकी स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए उसे रिहा किया जाता है तो उससे समाज के लिए खतरा होने की संभावना है.

hiv
hiv

By

Published : Oct 16, 2021, 3:52 PM IST

मुंबई : एक स्थानीय सत्र अदालत ने एचआईवी पॉजिटिव वेश्यावृत्ति पीड़िता की दो साल की कस्टडी को बरकरार रखा है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एसयू बघेले ने कहा कि पीड़िता को सुधार गृह में देखभाल और सुरक्षा मिलेगी. इससे उसे आवश्यक ब्रेनवॉश के बाद सामान्य जीवन जीने में मदद मिलेगी.

कोर्ट ने कहा कि चूंकि पीड़िता निर्विवाद रूप से एचआईवी से पीड़ित है, जिसे आसानी से संभोग के माध्यम से प्रेषित किया जा सकता है. पीड़ित की हालत से बड़े पैमाने पर समाज के लिए खतरा पैदा होने की संभावना है.

अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 की धारा 17(4) के तहत एक मजिस्ट्रेट द्वारा पीड़िता को आश्रय गृह में दो साल के लिए कस्टडी में रखने का आदेश दिए जाने के बाद महिला के पिता ने अपील में सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.

पिता के वकील ने कहा कि महिला को गलतफहमी और उसकी एचआईवी पॉजिटिव स्थिति के कारण गिरफ्तार किया गया था. इसके अलावा, उनकी बेटी एक अभिनेत्री है और वह खुद एक पुलिस अधिकारी हैं. परिवार आर्थिक रूप से मजबूत है और वे उसका भरण-पोषण कर सकते हैं.

अभियोजक ने आवेदन का विरोध किया और कहा कि महिला को रंगेहाथ पकड़ा गया था. उसे सुधार गृह में वोकेशनल ट्रेनिंग के लिए भेजा गया था. वह एचआईवी पॉजिटिव थी. अदालत ने कहा कि कस्टडी में लेने का निर्देश देने के पीछे मजिस्ट्रेट का मुख्य उद्देश्य संभोग के माध्यम से बीमारी के फैलने की संभावना है और पीड़िता को भविष्य में परामर्श के माध्यम से ऐसी गतिविधियों में शामिल होने से रोकने के लिए पुनर्वास करना है.

सत्र अदालत ने आसिया अनवर शेख बनाम महाराष्ट्र राज्य में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए पिता की निर्भरता को खारिज कर दिया क्योंकि पीड़िता समाज के लिए कोई खतरा पैदा करने के लिए किसी भी विकलांगता से पीड़ित नहीं थी.

अदालत ने कहा कि मजिस्ट्रेट के निर्देशानुसार पीड़िता को कस्टडी में लेकर उसकी देखभाल और सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकती है. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पीड़िता आवश्यक ब्रेनवॉश करने के बाद भविष्य में एक सामान्य जीवन जी सके. अदालत ने महिला के पिता की इस दलील को खारिज कर दिया कि चूंकि वह एक संपन्न परिवार से ताल्लुक रखती है तो वह अनैतिक गतिविधियों में शामिल नहीं होगी.

यह भी पढ़ें-शीर्ष अदालत में दिल्ली की सीमाओं से प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए नई याचिका दायर

अदालत ने कहा कि इस बात में कोई दम नहीं है कि आर्थिक रूप से मजबूत होने के कारण पीड़िता के इस तरह की अनैतिक गतिविधियों में लिप्त होने की संभावना नहीं है. तथ्यात्मक मैट्रिक्स को देखते हुए जैसा कि प्राथमिकी से स्पष्ट है. इसमें कहा गया कि पीड़िता विशेष क्षण में 100000 रुपये फीस पर वेश्यावृत्ति में लिप्त होने के लिए सहमत है

ABOUT THE AUTHOR

...view details