हमीरपुर:रंगों के उत्सव होली का हिमाचल के हमीरपुर जिले के सुजानपुर में अपना एक विशेष (Holi of Sujanpur)महत्व है. हिमाचल के सुजानपुर की होली देशभर में विख्यात है. यहां दूरदराज से लोग होली खेलने के लिए आते हैं. होली के मौके पर यहां सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है. देशभर के कलाकार यहां आकर लोगों का मनोरंजन करते हैं. इस बार यह मेला 15 से 18 मार्च तक मनाया जा रहा है.
सुजानपुर के राष्ट्रस्तरीय होली उत्सव(National level Holi festival in Sujanpur) और यहां स्थित मुरली मनोहर मंदिर का विशेष नाता (Murli Manohar Temple of Sujanpur )है. बता दें की सुजानपुर के राष्ट्रस्तरीय होली मेले का आगाज केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को किया है. परंपरा है कि सुजानपुर शहर में रथ यात्रा निकालने के बाद मुख्य अतिथि के मुरली मनोहर मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद होली मेले का आगाज किया जाता है.
कई साल पुराना इतिहास:सुजानपुर में मनाई जाने वाली होली उत्सव के आयोजन के पीछे एक रोचक कहानी है. रियासतों और रजवाड़ा शाही के दौर में शुरू हुआ ये उत्सव, आज भी सदियों पुरानी परंपराओं के अनुसार ही मनाया जाता है. सुजानपुर नगर की स्थापना 1761 ई. में कटोच वंश के राजा घमंड चंद ने की थी, लेकिन इसे संपूर्ण करने का श्रेय कला प्रेमी और राजा घमंड चंद के पोते संसार चंद को जाता है. इसी वंश के शासन में सुजानपुर के होली उत्सव का शुभारंभ हुआ था. रजवाड़ा शाही के दौर से ही यह उत्सव 3 दिन तक मनाया जाता है. तब राजा के महल में तालाब में रंग घोलकर होली खेली जाती थी.
उल्टे हाथ में कान्हा जी ने पकड़ी मुरली:राजा संसार चंद के दौर में ही सुजानपुर होली उत्सव को ख्याति मिली. संसार चंद ने ही प्राचीन मुरली मनोहर मंदिर का निर्माण भी करवाया और होली उत्सव को नई पहचान भी दी. होली के मौके पर राजा हाथी-घोड़ों पर सवार होकर अपने महल से मंदिर में पहुंचते थे और होली उत्सव से पहले यहां पूजा करते थे. इस मंदिर से भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी को गुलाल लगाकर ही सुजानपुर होली मेले की शुरुआत होती थी. सबसे खास बात ये है कि मंदिर में कृष्ण की प्रतिमा ने उल्टे हाथ में बांसुरी पकड़ रखी है, जबकि हर मंदिर में कृष्ण भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति सीधे हाथों में रहती है.