दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

Uttarkashi Bus Accident: 15 साल में जा चुकी है 249 लोगों की जान

उत्तरकाशी जिले में साल दर साल सड़क हादसों की संख्या बढ़ती जा रही है. यमुनोत्री मार्ग के मुकाबले गंगोत्री हाईवे पर सबसे ज्यादा हादसे हुए हैं. पिछले 15 सालों में उत्तरकाशी जिले में बड़े हादसों में 249 से ज्यादा लोगों की मौत चुकी है. 1995 के हादसे में तो एक साथ 70 लोगों की मौत तक हुई थी.

Uttarkashi Bus Accident
उत्तरकाशी बस एक्सीडेंट

By

Published : Jun 6, 2022, 4:25 PM IST

Updated : Jun 6, 2022, 6:12 PM IST

उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सड़क हादसों का पुराना इतिहास रहा है. रविवार शाम को यमुना घाटी में डामटा के पास हरबर्टपुर-यमुनोत्री हाईवे पर जो सड़क हादसा हुआ, वो अबतक का सबसे भीषण सड़क हादसा था, जिसमें 26 तीर्थयात्रियों की मौत हुई. उत्तराखंड में सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं यमुनोत्री के बजाए गंगोत्री हाईवे पर हुई हैं. उत्तरकाशी में हुई सड़क दुर्घटनाओं पर एक नजर...

उत्तरकाशी में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2019 में जिलेभर में कुल 23 सड़क दुर्घटनाएं हुईं. इन 23 में 18 लोगों की जान गई थी, जबकि 43 लोग घायल हुए थे. इसके अलावा साल 2020 में तीन सड़क दुर्घटनाओं में 13 व्यक्तियों की मौत हुई है. वर्ष 2021 में सड़क दुर्घटनाओं पर कुछ अंकुश लगा. इस साल 2022 चारधाम यात्रा के दौरान जनपद उत्तरकाशी में यह तीसरी बड़ी सड़क दुर्घटना है. पहली दो दुर्घटनाओं में पांच तीर्थयात्रियों की मौत हुई है, जबकि रविवार को हुई दुर्घटना बेहद ही डरावनी रही.

उत्तरकाशी में कब-कब हुए हादसे.
पढ़ें- उत्तरकाशी बस हादसा: जौलीग्रांट लाए गए 25 शव, एयरलिफ्ट कर खजुराहो भेजेंगे
  • उत्तरकाशी में हुई बड़ी दुर्घटनाएं-गंगोत्री हाईवे पर 20 सिंतबर 1995 को एक बस भागीरथी में समा गई थी, जिसमें 70 व्यक्तियों की मौत हो गई थी.
  • इसके बाद गंगोत्री हाईवे पर ही 9 जुलाई 2006 को नालूपानी के पास बस खाई में गिरने से 22 व्यक्तियों की मौत.
  • गंगोत्री हाईवे पर ही 3 जुलाई 2008 को नाकुरी के पास बस खाई में गिर गई थी. इस हादसे में भी 13 लोगों की जान चली गई थी.
  • 21 जुलाई 2008 को सुक्खीटॉप के पास बस खाई में गिरने से 14 व्यक्तियों की मौत (गंगोत्री हाईवे)
  • 4 जुलाई 2009 को भटवाड़ी गंगनानी के बीच में बस भागीरथी में गिरने से 40 व्यक्तियों की मौत (गंगोत्री हाईवे).
  • 10 जुलाई 2009 को नालूपानी में टैक्सी गिरने से 12 व्यक्तियों की मौत (गंगोत्री हाईवे).
  • 1 अगस्त 2010 को भटवाड़ी के डबरानी के पास ट्रक गिरने से 27 व्यक्तियों की मौत (गंगोत्री हाईवे).
  • 16 जुलाई 2012 को संगलाई के पास मैक्स खाई में गिरने से पांच ग्रामीणों की मौत (गंगोत्री हाईवे).
  • 29 जुलाई 2013 को मोरी के पांव तल्ला के पास बस गिरने से 13 व्यक्तियों की मौत, 20 घायल (मोरी नैटवाड़ संपर्क मार्ग).
  • 23 मई 2017 को नालूपानी के पास बस गिरने से 27 तीर्थयात्रियों की मौत (गंगोत्री हाईवे).
  • 4 जून 2017 को भटवाड़ी हेल्गूगाड़ के पास टैक्सी गिरने से 12 व्यक्तियों की मौत (गंगोत्री हाईवे).
  • 3 सितंबर 2018 को भटवाडी संगलाई के पास टैंपो ट्रैवलर गिरने से 14 तीर्थयात्रियों की मौत (गंगोत्री हाईवे).
  • 5 अक्टूबर 2018 को भटवाड़ी सुनगर के पास हुए हुए टैंपो ट्रैवलर में 10 तीर्थयात्रियों की मौत (गंगोत्री हाईवे).
  • 18 नवंबर 2018 को डामटा के निकट किमथात के पास बस दुर्घटना, 14 व्यक्तियों की मौत, 14 घायल (हर्बटपुर-यमुनोत्री हाईवे).
  • 5 जून 2022 को डामटा के निकट बस दुर्घटना 26 तीर्थयात्रियों की मौत, 4 घायल (हरबर्टपुर-यमुनोत्री हाईवे).

चारधाम यात्रा के कारण इन रास्तों पर रहता है सबसे ज्यादा ट्रैफिक:मई और जून के महीने में बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा पर लाखों की संख्या में तीर्थयात्री पहुंचे थे. इस बार भी यात्रियों की बड़ी संख्या को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने यात्रियों से अपील की थी कि वह रुक-रुक कर उत्तराखंड आएं, जिससे व्यवस्था बनी रहे. मगर छुट्टियों का सीजन होने की वजह से लोग ऐसी एडवाइजरी पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं और पहाड़ों की यात्रा पर निकल जाते हैं. बसों और ट्रेनों से उत्तराखंड पहुंचनने वाले यात्रियों के पास लोकल टैक्सी ही एकमात्र सहारा होती है. कुछ यात्री प्राइवेट बसों के जरिए भी उत्तराखंड का भ्रमण करते हैं. यात्रियों की बड़ी तादाद को देखते हुए ड्राइवर दिन रात गाड़ी चलाते हैं. ऐसे में कई बार ड्राइवर को नींद की झपकी आने पर गाड़ी खाई में गिर जाती है.

उत्तरकाशी में कब-कब हुए हादसे.
पढ़ें-शिवराज-धामी ने उत्तरकाशी में दुर्घटना स्थल का लिया जायजा, स्टेयरिंग फेल होने को बताया हादसे का कारण

ड्राइवरों की लापरवाही के अलावा सड़कों की बदहाल स्थिति भी उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में सड़क हादसों का एक बड़ा कारण है. इसके साथ ही दुर्गम मार्गों पर कई बार देखने में आया है कि गाड़ियां खस्ताहाल स्थिति में होते हुए भी उन्हें सड़कों पर दौड़ाया जाता है और वो हादसे का शिकार होती हैं. परिवहन विभाग का कहना है कि ज्यादातर हादसे गलत तरीके से गाड़ी चलाने, शराब पीकर ड्राइविंग करने और मौसम की परिस्थितियों की वजह से हो रहे हैं.

Last Updated : Jun 6, 2022, 6:12 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details