अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस आज, जानें इतिहास और महत्व - History of labour day
आज मजदूर दिवस है. वह मजदूर जो अपने पसीने से देश को मजबूत करने की हैसियत रखता है. आज उसकी क्या स्थिति है. प्रश्न यह है कि, क्या मजदूर आज भी मजबूर हैं? आज पूरा देश जब महामारी से जूझ रहा है तो एक मजदूर खुद को कहां पाता है?
International Labour Day
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Published : May 1, 2021, 6:41 AM IST
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Updated : May 1, 2021, 7:06 AM IST
हैदराबाद :आज अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस है. यह दिन मेहनतकश मजदूरों के लिए समर्पित है. किसी भी देश की अर्थव्यव्यस्था मजदूरों के बदौलत ही खड़ी होती है. हालांकि इसके बावजूद मजदूर हाशिए पर हैं. कोरोना महामारी के बीच हम उन मजदूरों की मेहनत को याद कर रहे हैं, जिन्होंने अपनी हाथों से देश की किस्मत तय की थी.
1 मई को दुनियाभर में मजदूर दिवस को मनाया जाता है. यह श्रमिक आंदोलन की उपलब्धियों के स्मरणोत्सव रूप में मनाया जाता है. इसे अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस या मई दिवस के रूप में भी जाना जाता है. दुनिया के करीब 80 देशों में इस दिन सार्वजनक अवकाश होता है.
मजदूर दिवस का इतिहास
श्रमिकों पर केंद्रित पहला मई दिवस समारोह 1 मई 1890 को मनाया गया था. 14 जुलाई 1889 को यूरोप में समाजवादी दलों के पहले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में इसकी उद्घोषणा की गई थी.
अटलांटिक के दूसरी तरफ की घटनाओं के कारण 1 मई की तारीख को चुना गया था. 1884 में अमेरिकन फेडरेशन ऑफ ऑर्गेनाइज्ड ट्रेड्स एंड लेबर यूनियनों ने आठ घंटे के कार्यदिवस की मांग की, जो कि 1 मई 1886 से प्रभावी हुआ था.
1917 में रूसी क्रांति के बाद, शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ और पूर्वी ब्लॉक देशों द्वारा इसे अपनाया गया था.
अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस हमेशा दुनिया भर के समारोहों, विरोधों और हड़तालों के लिए जाना जाता है. इस दिन की सबसे प्रसिद्ध घटनाओं में से एक है 1971 में वियतनाम युद्ध के खिलाफ अमेरिकी नागरिकों द्वारा किया गया अवज्ञा आंदोलन शामिल है.
भारत में मई दिवस 1 मई, 1923 को लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान द्वारा मद्रास (अब चेन्नई) में भारत में दिवस का पहला उत्सव आयोजित किया गया था. यह वह समय भी था जब इसके लिए लाल झंडा भारत में पहली बार इस्तेमाल किया गया था.
कम्युनिस्ट नेता मलयपुरम सिंगारवेलु चेट्टियार ने इस अवसर को मनाने के लिए लाल झंडा उठाया था और बैठकें आयोजित की थीं. चेट्टियार ने एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें कहा गया कि सरकार को भारत में मजदूर दिवस पर राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा करनी चाहिए और तब से देश ने इस दिवस को मनाना जारी रखा है.
1986 का बाल श्रम अधिनियम भारत में बाल श्रम को निषिद्ध करता है. इसके तहत 14 साल से कम उम्र के बच्चों से श्रम करवाना दंडनीय अपराध है. इस अधिनियम का उद्देश्य बेहतर श्रम मानकों को हासिल करना और उद्योगों व उद्योगपतियों द्वारा बच्चों के साथ दुर्व्यवहार या शोषण को खत्म करने के लिए निर्देशित किया गया था.
1 मई, मजदूर दिवस होने के अलावा, 'महाराष्ट्र दिवस' और 'गुजरात दिवस' के रूप में भी मनाया जाता है. 1960 में पूर्ववर्ती बॉम्बे राज्य को भाषाई तर्ज पर विभाजित किया गया था.
श्रमिकों पर कोविड-19 का प्रभाव कोविड-19 महामारी को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण 2020 तक 114 मिलियन लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का अनुमान है कि 2020 में जो काम के घंटे खराब हुए वह 255 मिलियन पूर्णकालिक रोजगार के बराबर थे, जिससे श्रम आय में $ 3.7 ट्रिलियन का नुकसान हुआ है.
भारत
लॉकडाउन के पहले और बाद के क्षेत्रों में अनौपचारिक श्रमिकों के रोजगार की स्थिति (प्रतिशत में)