मुंबई : जाने-माने पटकथा लेखक एवं गीतकार जावेद अख्तर ने हाल में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की तुलना तालिबान से की थी. इसके बाद अख्तर को काफी आलोचना हुई थी. शिवसेना के मुखपत्र सामना ने भी उनकी आलोचना की थी. हालांकि अब जावेद अख्तर ने सामना में एक लेख लिखकर स्पष्टीकरण दिया है.
इस लेख में अख्तर ने कहा कि हिंदू को दुनिया का सबसे सभ्य और सहिष्णु समुदाय है. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान कभी भी अफगानिस्तान नहीं हो सकता है, क्योंकि हिंदुस्तानी स्वभाव से कट्टरपंथी नहीं है. समान्य रहना उनके डीएनए में है.
उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि उनके आलोचक आरोप लगाते हैं कि मैं मुस्लिम कट्टरपंथियों के खिलाफ नहीं बोलता हूं, जो एकदम से निराधार हैं. जावेद अख्तर ने कहा कि आलोचक इस बात से नाराज है कि उन्होंने तालिबान और दक्षिणपंथी हिंदू विचारधारा में समानताएं बताई हैं.
आलोचकों ने मुझ पर मुस्लिम समुदाय में ट्रिपल तलाक, पर्दा प्रथा अन्य प्रतिक्रियावादी प्रथा के बारे में कुछ नहीं कहने का आरोप लगाया है, लेकिन मैं हैरान नहीं हूं. सच तो यह है कि पिछले दो दशकों में मुझे दो बार पुलिस सुरक्षा दी गई है क्योंकि मुझे कट्टर मुसलमानों से जान को खतरा था.