कोलकाता/नई दिल्ली : महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के लिए अभद्र शब्दों का प्रयोग करते हुए अखिल भारत हिंदू महासभा (All India Hindu Mahasabha) के अध्यक्ष रत्नदेव सूरी उर्फ अद्भूत बाबा ने ईटीवी भारत (ETV Bharat) से बात की. उन्होंने कहा कि 'अखिल भारत हिंदू महासभा अपना स्टैंड कायम रखेगी और गांधी को 'कातिल' कहने से नहीं हिचकेगी.' गौरतबल है कि 2 अक्टूबर को अखिल भारतीय हिंदू महासभा द्वारा आयोजित कोलकाता में एक दुर्गा पूजा के बाद एक विवाद छिड़ गया, जिसमें महिषासुर का फोटो गांधी की तरह बनाया गया था.
इससे पूरे देश में एक विवाद छिड़ गया था, हालांकि एक शिकायत दर्ज होने के बाद इस चित्र को हटा दिया गया था. महात्मा गांधी की वह तस्वीर तो हटा दी गई थी, लेकिन दक्षिणपंथी भगवा संगठन ने गांधी और यहां तक कि आरएसएस पर भी अपना हमला जारी रखा. जब आरएसएस सुप्रीमो मोहन भागवत और मुस्लिम बुद्धिजीवियों और धार्मिक प्रमुखों के बीच नवीनतम बातचीत पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया, तो हिंदू महासभा के अध्यक्ष ने मोहन भागवत के लिए भी अभद्र शब्दों का प्रयोग किया.
उन्होंने (Hindu Mahasabha President Ratnadev Suri) कहा कि 'आरएसएस अब वोट बैंक/मनी बैंक की राजनीति कर रहा है और भागवत एक #$% हैं. वीर सावरकर के नेतृत्व में बना आरएसएस अब बदल चुका है और अब अपनी विचारधारा के बिल्कुल उलट प्रथाओं में लिप्त है. आरएसएस को अब वोट बैंक/पैसा बैंक कहा जाना चाहिए.' भागवत द्वारा की गई एक टिप्पणी कि 'लोगों को हर धार्मिक स्थल पर शिवलिंग नहीं देखना चाहिए', इस पर सूरी ने दृढ़ता से कहा कि 'हिंदू महासभा के अध्यक्ष के रूप में हम मोहन भागवत द्वारा दिए गए बयान की निंदा करते हैं.'
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जिहाद और उग्रवाद के मुद्दों को उठाते हुए सूरी ने कहा कि हिंदू महासभा कभी भी मुसलमानों या उसके नेतृत्व का समर्थन नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि वे हिंदुओं के लिए खतरा हैं. सीपीआई नेता डी राजा, जो तिरुवनंतपुरम में हैं, उन्होंने फोन के माध्यम से ईटीवी भारत से बात की और कहा कि 'यह एक बेहद निंदनीय घटना है. कोई महात्मा गांधी को कैसे बदनाम कर सकता है जो हमारे देश के पिता हैं. राज्य सरकार को उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, जिन्होंने गांधी को इस तरह बदनाम किया. पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए. यह ऐसे नहीं चल सकता.'
उन्होंने कहा कि 'गांधी हमेशा धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के लिए खड़े हुए और अंग्रेजों के खिलाफ अत्यंत साहस के साथ लड़े और हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए खड़े हुए. इनकी मानसिकता यही है, हर कोई जानता है. एक तरफ वे गोडसे की पूजा करते हैं और उन्हें सबसे बड़ा स्वतंत्रता सेनानी कहते हुए उनके मंदिर बनवाते हैं.' ध्यान देने वाली बात यह है कि हालांकि टीएमसी ने इस विवाद की आलोचना की है, लेकिन इस पर सीएम ममता बनर्जी की चुप्पी को संदेह के साथ देखा जा रहा है, क्योंकि सीएम ने कहा कि सभी आरएसएस कार्यकर्ता बुरे नहीं हैं और पीएम मोदी टीएमसी कर्मी के खिलाफ नवीनतम ईडी पंक्ति के पीछे नहीं हैं.
इसके अलावा इस मुद्दे को लेकर राजनीति भी गरमाई हुई है. भाकपा के राष्ट्रीय सचिव अतुल अंजन ने ईटीवी भारत से कहा कि 'यह एक समुदाय के लिए दिखाया गया एक स्पष्ट अनादर है. आयोजक ने लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है. यह राष्ट्रपिता के प्रति दिखाया गया एक स्पष्ट अनादर भी है. हम चाहते हैं कि आयोजक माफी मांगे और साथ ही लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने के लिए उनके खिलाफ पुलिस केस दर्ज किया जाए.' पूर्व सांसद और माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य हन्नान मुल्ला ने भी यही मत व्यक्त करते हुए आयोजक की तीखी आलोचना की है.
इसके अलावा ईटीवी भारत से बातचीत में सीपीआई के वरिष्ठ नेता अतुल अंजान ने मोदी सरकार को घेरते हुए कहा कि 'जो आज़ादी की लड़ाई के कोख से पैदा नहीं हुए हैं वह ऐसा कर सकते हैं. आज अमेरिका में अब्राहम लिंकन के बारे में या दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला के बारे में ऐसा कोई नहीं कह सकता, लेकिन भारत में आठ साल से जब से ये सरकार आई है तब से कई बार इस तरह की बातें हुई है, जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अपमान हुआ है.'