पिथौरागढ़ : पहाड़ों में इस साल बारिश और बर्फबारी कम होने से हिमालयन वियाग्रा के नाम से प्रसिद्ध कीड़ाजड़ी (यार्सागुम्बा) का उत्पादन प्रभावित हुआ है. जानकारों का कहना है कि इस साल उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कम बर्फबारी होने के कारण तापमान जितनी तेजी से बढ़ता जाएगा, उतनी ही तेजी से यार्सागुम्बा के उत्पादन में कमी आती जाएगी. यार्सागुम्बा का उत्पादन कम होने से बॉर्डर के हजारों परिवारों के समक्ष आर्थिक संकट भी गहरा गया है.
दरअसल, उच्च हिमालयी इलाकों में पैदा होने वाले यार्सागुम्बा का उत्पादन तापमान पर निर्भर करता है. इस बेशकीमती कीड़ाजड़ी के बेहतर उत्पादन के लिए भारी बर्फबारी होना और माइनस चार से माइनस 15 डिग्री का तापमान होना बेहद आवश्यक है. शोध में पाया गया है कि जिस साल हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी कम हुई है, इसके उत्पादन में भी कमी आई है.
जानकारों के मुताबिक 3 हजार मीटर से अधिक की ऊंचाई पर पाया जाने वाला यार्सागुम्बा अब 3,500 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर पैदा हो रहा है, जिसकी मुख्य वजह मानवीय हस्तक्षेप है. वहीं, उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ट्री लाइन बर्बाद होने के कारण निचले इलाकों के तापमान का असर भी उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पड़ा है.