शिमला :भारत ने गुरुवार को 100 करोड़ टीके की खुराक का ऐतिहासिक आंकड़ा पार कर लिया. कोविड के खिलाफ यह उपलब्धि नौ महीने में मिली. 100 करोड़ टीके की खुराक का आंकड़ा पार करने पर देशभर में जश्न का माहौल है. देशभर में सबसे पहले कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक देने का शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने के बाद अब जल्द ही हिमाचल कुल पात्र आबादी को दूसरी खुराक देने के मामले में भी पहले स्थान पर आ सकता है.
प्रदेश सरकार ने इस वर्ष नवंबर के अंत तक सभी पात्र आबादी के शत-प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य निर्धारित किया है. हालांकि जिस रफ्तार से कोरोना वैक्सीनेशन की प्रक्रिया जारी है, उससे लगता है कि यह लक्ष्य इससे पहले पूरा किया जा सकता है. आज तक प्रदेश की पात्र आबादी को 88.15 लाख से अधिक खुराकें दी जा चुकी हैं. जिसमें 56.95 लाख पहली और 31.21 लाख दूसरी खुराक शामिल है.
पूरे देश में 100 करोड़ टीकाकरण के लक्ष्य को हासिल करने पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और देशवासियों को बधाई भी दी. मुख्यमंत्री ने चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ें लोगों और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को बधाई देते हुए कहा कि उनके समर्पण और अथक प्रयासों के कारण ही यह कठिन कार्य संभव हो पाया है.
उन्होंने कहा कि इसका श्रेय पीएम मोदी की प्रतिबद्धता और सक्षम नेतृत्व को जाता है जो देश के लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं. उन्होंने प्रदेशवासियों से आग्रह किया कि वह महामारी से सुरक्षा के लिए अपनी बारी के अनुसार टीकाकरण करवाना सुनिश्चित करें, ताकि हम नवंबर माह के अंत तक प्रदेश की पात्र आबादी का शत-प्रतिशत टीकाकरण करने का लक्ष्य हासिल कर सकें.
टीकाकरण अभियान के कारण ही राज्य सरकार प्रदेश में महामारी को नियंत्रित करने में काफी हद तक सफल हुई है. प्रदेश में लगभग 55 लाख 23 हजार पात्र लोग हैं, जिनका कोविड-19 टीकाकरण किया जा रहा है. निर्धारित लक्ष्य के दृष्टिगत राज्य में अब तक 30,71,853 लोगों को कोविड-19 वैक्सीन की दूसरी डोज दी जा चुकी है.
प्रदेश में कोविड-19 टीकाकरण अभियान की रफ्तार पर पूछे प्रश्न के जवाब में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारियों ने कहा कि अभी तक हिमाचल में लक्ष्य से अधिक तेजी से टीकाकरण हो रहा है. उन्होंने कहा कि तय लक्ष्य के तहत प्रदेश के विभिन्न जिलों में वैक्सीन की दूसरी खुराक लगाने के लिए लक्षित पात्र आबादी का टीकाकरण करने में जिला किन्नौर 102.8 प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर जहां प्रदेश भर में अग्रणी बना हुआ हैं, वहीं जिला लाहौल-स्पीति 82.1 प्रतिशत लक्ष्य को हासिल कर दूसरा, जबकि जिला सोलन 73.6 प्रतिशत लक्ष्य को हासिल कर तीसरे स्थान पर बना हुआ है.
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उन्होंने कहा कि कोविड-19 वैक्सीन की दूसरी डोज लगाने में जिला बिलासपुर ने 64.7 प्रतिशत, जिला चंबा ने 42.5 प्रतिशत, जिला हमीरपुर ने 56.7 प्रतिशत, जिला कांगड़ा ने 51.1 प्रतिशत, जिला कुल्लू ने 53.6 प्रतिशत, जिला मंडी ने 51.8 प्रतिशत, जिला शिमला ने 60.2 प्रतिशत, जिला सिरमौर ने 44 प्रतिशत और जिला ऊना ने 61.3 प्रतिशत लक्ष्य को हासिल किया है. टीकाकरण की इस रफ्तार को देखते हुए उम्मीद लगाई जा रही है कि जिस प्रकार हिमाचल कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक लगाने में देश भर में प्रथम आया था, उसी प्रकार प्रदेश की कुल पात्र आबादी को दूसरी खुराक के मामले में भी हिमाचल देश भर में पहले स्थान पर आ सकता है.
देश के अन्य राज्यों के मुकाबले देवभूमि के बेहतर हेल्थ नेटवर्क हैं. हिमाचल में प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य संस्थान देश में सबसे अधिक है. प्रति व्यक्ति सेहत पर खर्च करने के मामले में भी हिमाचल देश में अग्रणी है. देवभूमि में तीन हजार लोगों पर एक स्वास्थ्य संस्थान है और हिमाचल 2700 रुपये से अधिक प्रति व्यक्ति पर खर्च करता है. हिमाचल में फील्ड में 2286 मेडिकल ऑफिसर यानी एमबीबीएस डॉक्टर हैं. इसके अलावा फील्ड में 220 के करीब पीजी डॉक्टर्स हैं. वहीं, मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में एक हजार से अधिक विशेषज्ञ डॉक्टर्स हैं.
उपचुनावों और फसल सीजन के कारण टीकाकरण रफ्तार धीमी होने का डर
प्रदेश में तीन विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं. ऐसे में प्रशासन की व्यस्तता के कारण कोविड-19 टीकाकरण की रफ्तार धीमी होने की आशंका लग रही है. अधिकारियों की चुनाव ड्यूटी में व्यस्तता के कारण प्रदेश के लोगों को जागरूक करने के लिए प्रशासन की तरफ से अधिक प्रयास नहीं हो रहे हैं. इसके अलावा प्रदेश के अधिकांश क्षेत्र में किसान-बागवान अपनी फसलों को लेकर व्यस्त हैं.
प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों में सेब सीजन जारी है. जिसके चलते बागवान अपने बगीचों में व्यस्त चल रहे हैं. इसके अलावा लोअर हिमाचल में भी फसल का कार्य जारी होने के कारण किसान व्यस्त चल रहे हैं. ऐसे में टीकाकरण की रफ्तार कम होने की आशंका जताई जा रही है. लेकिन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है कि प्रदेश सरकार अपने तय समय से शत प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य हासिल कर लेगी.
हिमाचल ने स्थापित किया है जीरो वेस्टेज का रिकॉर्ड
प्रदेश में अब तक जीरो वेस्टेज का रिकॉर्ड भी मेंटेन है. जिसके कारण हिमाचल में कभी भी वैक्सीनेशन की बड़ी कमी का आभास नहीं हुआ है. हिमाचल में तैनात राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारियों के अनुसार वैक्सीन की वेस्टेज किसी भी टीकाकरण कार्यक्रम के लिए सबसे महत्वपूर्ण है. वैक्सीन की अधिकतम वेस्टेज तीन स्तरों पर होती है, जिसमें वैक्सीन का परिवहन, भंडारण और टीकाकरण केंद्र शामिल है. जिसमें सबसे ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है. हिमाचल में कोरोना टीकाकरण अभियान 16 जनवरी, 2021 को शुरू किया गया था. इस टीकाकरण अभियान को प्रदेश में शुरू करने से पहले टीके के भंडारण, परिवहन व इससे संबंधित अन्य सभी आवश्यक प्रबंधों को निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार किया गया है.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को इसके लिए प्रशिक्षित किया गया है. विशेष रूप से इसके लिए निर्धारित तापमान और वैक्सीन स्टॉक की निगरानी पर विशेष ध्यान दिया गया है. कोल्ड चेन केंद्रों में नए उपकरण स्थापित कर और पहले से मौजूद उपकरणों की सर्विर्सिज करके कोल्ड चेन प्रणाली को सुदृढ़ किया गया है. वैक्सीन को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए हर जिले में बेहतर व्यवस्था की गई है.
भारत सरकार की ओर से वैक्सीन उपलब्धता के अनुसार राज्य में सुचारू रूप से परिवहन व्यवस्था को बनाए रखा है और निर्धारित मापदंडों के अनुसार शीघ्र ही वैक्सीन के वितरण का कार्य किया जाता है. सरकार की ओर से वैक्सीन के भंडारण के लिए परिमहल शिमला में बनाए गए भंडारण केंद्र से लेकर कांगड़ा व मंडी में बनाए गए कोल्ड चेन केंद्रों तक वैक्सीन की सुचारू आपूर्ति के लिए परिवहन चेन बनाई गई है और वैक्सीन के रख-रखाव के लिए इस कार्य में लगे सभी कर्मियों को पूरी तरह से प्रशिक्षित किया गया है.
टीकाकरण केन्द्र के लिए परिवहन और संचालन के कड़े दिशानिर्देशों का पालन करते हुए टीके का परिवहन वैक्सीन वैन में किया जाता है. टीके को एडी सिरिंज के माध्यम से लगाया जाता हैं. प्रदेश में टीका लगाने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को टीके की वेस्टेज को ध्यान में रखते हुए टीका लगाने का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है. उन्होंने कहा कि शीशी को एक बार खोलने के बाद एक निश्चित समय सीमा के भीतर उसका उपयोग सुनिश्चित किया जाता है. यदि शीशी की खुराक निर्धारित समय सीमा में नहीं लगाई जाती है तो उसे फेंकना पड़ता है.
इसका अर्थ यह है कि दवाई का निपुणता से उपयोग सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त संख्या में लोग टीकाकरण के लिए तैयार हैं. दवाई की वेस्टेज कम से कम हो इसके लिए संबंधित क्षेत्र के स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लोगों को टीकाकरण के लिए प्रेरित करते हैं, ताकि कोविड टीकाकरण केन्द्रों में टीकाकरण की प्रक्रिया का निरन्तर संचालन हो सके. प्रदेश में जहां वैक्सीनेशन के वेस्टेज की संभावना हो सकती है, उन सभी सम्भावित स्तरों पर विभाग योजनाबद्ध तरीके से निगरानी कर रहा है. इसके फलस्वरूप ही प्रदेश सरकार ने इन दवाइयों की खुराक को बचाने में सफलता हासिल की है और शून्य वेस्टेज के लक्ष्य को प्राप्त कर अधिकतम संख्या में लोगों का टीकाकरण करवाया.