शिमला: हिमाचल प्रदेश भूकंप (Earthquake) के लिहाज से बेहद संवेदनशील जोन (sensitive zone) में आता है. पिछली सदी में वर्ष 1905 में आए विनाशकारी भूकंप की भयावह यादें अभी भी दहशत पैदा कर देती हैं. पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश (Hill State Himachal Pradesh) के लोग अक्सर भूकंप के डर से सहमे रहते हैं. हाल ही में एक हफ्ते में चार बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. पिछले शुक्रवार मंडी और बिलासपुर में भूचाल आने से डर का माहौल पैदा हो गया. खासकर मंडी जिला के कुछ इलाकों में तो चार से छह सेकंड तक जोर के झटके लगने से डरे लोग रात को घरों से बाहर निकल आए. भूकंप (Earthquake) की दृष्टि से संवेदनशील पांचवें जोन में पड़ने वाले हिमाचल में इस साल 53 छोटे बड़े भूकंप आ चुके हैं. यदि अक्टूबर और नवंबर महीने की बात करें तो छह बार भूकंप आ चुका है.
पहाड़ी राज्य होने के कारण बड़ा भूकंप हिमाचल के लिए विनाशकारी सिद्ध होगा. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जागरूकता और सतर्कता (Awareness and Vigilance) से भूकंप के दौरान नुकसान (damage during earthquake) को न्यूनतम किया जा सकता है. नेपाल में विनाशकारी भूकंप के बाद राहत और पुनर्वास कार्यों से जुड़ी विशेषज्ञ मीनाक्षी रघुवंशी का कहना है कि अधिक खतरे वाले इलाकों में भूकंप रोधी मकान (earthquake proof houses) बनाने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. साथ ही नियमित अंतराल पर सरकारी और स्वयंसेवी संस्थाओं को स्कूलों व पंचायतों में जागरूकता शिविर (Awareness Camp) आयोजित किए जाने चाहिए.
राज्य सरकार के प्रधान सचिव (Principal Secretary to State Government) ओंकार शर्मा के अनुसार सभी जिलों को समय-समय पर मॉक ड्रिल (Mock Drill) आयोजित करने के निर्देश हैं. कई स्वयं सेवी संस्थाएं निजी तौर पर जागरूकता शिविर आयोजित करती हैं जिन्हें सरकार हर संभव सहायता प्रदान करती है.
हिमाचल के लिए यह राहत की बात है कि लंबे समय से किसी भूकंप में जानमाल की कोई क्षति नहीं हुई है. विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि यदि नियमित अंतराल पर कम तीव्रता के भूकंप आते रहें तो किसी बड़े भूकंप के आने के आसार कम भी हो सकते हैं. कई बार आम जनता के बीच चर्चा रही है कि 1905 में आए भूकंप (1905 earthquake) की पुनरावृत्ति हो सकती है. इसे सौ साल के अंतराल के बाद संभावित माना जा रहा था लेकिन सौभाग्य से हिमाचल ऐसी आपदा से सुरक्षित है. भू-विज्ञान विशेषज्ञ (geology specialist) और यूएनओ (UNO) के साथ मिलकर भूकंप के खतरों को न्यूनतम करने की दिशा में लंबा अनुभव रखने वाली मीनाक्षी रघुवंशी (Meenakshi Raghuvanshi) का कहना है कि हिमाचल जैसे राज्य में सरकार का रोल अधिक अहम है. भूकंप रोधी मकान बनाने का प्रशिक्षण पंचायत स्तर पर दिया जाना चाहिए. भूकंप आने पर खुद का बचाव करने के उपाय संबंधी पंफलेट भी सर्कुलेट किए जाने चाहिए.
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वर्ष 2021 में साल के शुरुआत में ही चंबा जिला ने भूचाल महसूस किया. जिला में 6 जनवरी को चंबा में 3.2 तीव्रता का भूकंप आया था. इसी दौरान जनवरी महीने में ही एक रात में मंडी, कांगड़ा, कुल्लू और बिलासपुर में तीन बार भूडोल हुआ. फरवरी महीने में 13 तारीख को शिमला में भूकंप आया इसी तरह अप्रैल महीने में 5 और 16 तारीख को चंबा और लाहौल स्पीति में धरती के भीतर हलचल से दहशत फैल गई. मंडी में इसी साल 22 अप्रैल को भी भूकंप आया था. मई महीने में 8 तारीख को धर्मशाला में भूकंप आया.
हिमाचल प्रदेश एक हिमालयी राज्य है, लिहाजा हिमालयन रेंज (Himalayan range) में किसी भी जगह आए बड़े भूकंप का असर यहां देखने को मिलेगा. उदाहरण के लिए फरवरी महीने में नॉर्थ इंडिया (North India) में रात के समय भूकंप के भारी झटके महसूस किए गए. उस समय इसका प्रथम केंद्र तजाकिस्तान और दूसरा केंद्र पंजाब का अमृतसर इलाका था. यह भूकंप इतना भारी था कि इसके झटके हिमाचल के हमीरपुर, सोलन, सिरमौर, ऊना, कांगड़ा, कुल्लू, चंबा और बिलासपुर जिलों में भी महसूस किए गए. मार्च महीने में तो तीन दिन में तीन बार प्राकृतिक आपदा के झटके आए. किन्नौर व चंबा में कम तीव्रता के झटके आये. अब नवंबर महीने में 24 घंटे के अंदर चार भूकंप आ गए इस बार लोग अधिक डरे हुए हैं क्योंकि मंडी जिला में आया झटका काफी बड़ा रहा है.