शिमला:हिमाचल में 5 दशक के बाद आधी आबादी यानी बेटियों को पूरा हक मिला है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने पहले बजट में बेटियों को जमीन में हक़ दिलाने के लिए पहल की थी. अब उसे विधानसभा में बिल पारित कर कानूनी जामा पहनाने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया गया है. बेटे और बेटी में कोई भेद न रहे इसके लिए कांग्रेस सरकार ने राज्य में आधी सदी से भी पुराने यानी 51 वर्ष पुराने ‘हिमाचल प्रदेश भू-जोत अधिकतम सीमा अधिनियम-1972’ (‘हिमाचल प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग एक्ट 1972’) में संशोधन कर बिल को विधानसभा में पारित कर दिया है.
इस तरह नया कानून बनने के बाद अब देवभूमि में पैतृक संपत्ति में विवाहित और अविवाहित बालिग बेटी अलग इकाई स्वीकार होगी. अलग इकाई के तौर पर बेटी को 150 बीघा भूमि तक अधिकार मिलेगा. सुखविंदर सरकार ने वर्तमान अधिनियम की धारा चार की उप-धारा में ‘पुत्र’ शब्द के बाद ‘या पुत्री’ शब्द को शामिल किया है. विधानसभा में पारित संशोधन बिल को अब मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. राष्ट्रपति की संस्तुति के बाद यह कानून का हिस्सा बन जाएगा.
उल्लेखनीय है कि 17 मार्च को पेश अपने पहले ही बजट में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बेटियों के लिए एक बड़ी घोषणा की थी. तब बजट पेश करने के दौरान उनकी दोनों बेटियां विजिटर्स गैलरी में मौजूद थीं. मुख्यमंत्री ने ऐलान किया था कि हिमाचल प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग एक्ट में परिवार में पुत्र को ही अलग इकाई माना गया है. इसमें बेटियों को अलग इकाई नहीं माना गया था. ऐसे में एक्ट के इस प्रावधान के अनुसार किसी भी आदमी को परिवार में उसके पुत्र को अलग पारिवारिक इकाई मानते हुए अनुमत सीमा से दोगुनी भूमि पर स्वामित्व का अधिकार है, लेकिन बेटियों को कोई अधिकार नहीं है. अब विधानसभा में बिल पास होने के बाद यह मंजूरी को राष्ट्रपति के पास जाएगा, क्योंकि यह प्रावधान भारतीय संविधान के तहत प्रोटेक्टेड है.
बजट में एलान के बाद यह बिल प्रदेश विधानसभा में 29 मार्च, 2023 को संशोधन के साथ पेश किया गया था चूंकि मामला राजस्व विभाग से जुड़ा है, लिहाज राजस्व मंत्री जगत नेगी ने इसे पेश किया था. फिर 3 अप्रैल को इसे पारित किया गया. सीएम सुखविंदर सिंह का कहना है कि बेटियों को उनका हक दिलाने के लिए सरकार ने ये पहल की है. लैंगिक समानता की दिशा में ये बड़ा कदम है.
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