दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

Women Reservation Bill: हिमाचल में हर दूसरा वोटर महिला है लेकिन विधानसभा में सिर्फ एक महिला विधायक क्यों ?

मंगलवार को संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन केंद्र सरकार ने महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश कर दिया. इस बिल की जरूरत को समझने के लिए हिमाचल विधानसभा का वो इतिहास जानना जरूरी है जहां महिला विधायकों का टोटा ही रहा है. मौजूदा समय में यहां सिर्फ एक महिला विधायक है, वैसे ये आंकड़ा कभी भी हिमाचल के लिए कभी भी पीठ थपथपाने वाला नहीं रहा है. आंकड़ें खुद इसकी गवाही देते हैं जबकि यहां की महिलाएं सरकार चुनने में सबसे अहम भूमिका निभाती हैं. (Women Reservation Bill)

Women Reservation Bill
Women Reservation Bill

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 19, 2023, 7:36 PM IST

शिमला:केंद्र की मोदी सरकार ने सोमवार 18 सितंबर को महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दी और मंगलवार 19 सितंबर को इसे लोकसभा में पेश भी कर दिया. ये बिल महिलाओं को संसद से लेकर राज्य की विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण देगा. बिल के कानून बनने से पहले देशभर में एक बार फिर महिला आरक्षण की चर्चा होने लगी है. इस बीच राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की बात करें तो मौजूदा समय में हिमाचल प्रदेश में महिलाओं का प्रतिनिधित्व सबसे कम कहा जा सकता है क्योंकि हिमाचल प्रदेश की 68 विधायकों वाली विधानसभा में सिर्फ एक महिला विधायक है.

हिमाचल की इकलौती महिला विधायक- साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में सिरमौर जिले की पच्छाद सीट से बीजेपी उम्मीदवार रीना कश्यप ने चुनाव जीता था. वैसे साल 2021 में हुए उपचुनाव में ही रीना कश्यप इसी सीट से पहली बार विधानसभा पहुंची थी और इस एससी आरक्षित सीट पर उन्होंने अपना दबदबा कायम रखा था. महिला आरक्षण बिल केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी के बाद रीना कश्यप ने इस फैसले के लिए केंद्र सरकार का धन्यवाद किया और इसे महिलाओं के लिए ऐतिहासिक दिन करार दिया.

विधानसभा चुनाव 2022 में महिला प्रत्याशी

उन्होंने कहा कि ये देश की महिलाओं को तोहफा है और बिल पास होने के बाद हिमाचल विधानसभा में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा. मौजूदा विधानसभा में एकमात्र महिला विधायक होने के नाते रीना कश्यप कहती हैं कि विधानसभा में महिला विधायकों की तादाद बढ़नी चाहिए और जब महिलाएं हर क्षेत्र में आगे आ रही हैं तो राजनीति में भी महिलाओं को आगे आना चाहिए.

विधानसभा चुनाव 2017 में महिला प्रत्याशी
हर दूसरा वोटर महिला लेकिन सिर्फ एक महिला विधायक- नवंबर 2022 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में कुल 55,92,828 थे, जिनमें से 28,54,945 पुरुष और 27,37,845 महिला और 38 थर्ड जेंडर मतदाता हैं. इस लिहाज से कुल मतदाताओं में करीब 51% पुरुष और 49% महिला वोटर हैं, यानी पुरुष और महिला मतदाताओं की संख्या में करीब 2% का अंतर भी नहीं है. इस हिसाब से हिमाचल में हर दूसरा वोटर एक महिला है लेकिन जब 2022 विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आए तो विधानसभा पहुंचने में सिर्फ एक महिला प्रत्याशी कामयाब हो पाई. साल 2017 विधानसभा चुनाव में कमोबेश महिला और पुरुष मतदाताओं का प्रतिशत यही था.

2022 में सियासी दलों ने कुल 24 महिलाओं को टिकट दिया था, जबकि चुनाव मैदान में कुल 412 उम्मीदवार थे. इस हिसाब से कुल 68 विधायकों वाली विधानसभा में सिर्फ 1.47% महिला विधायक हैं. साल 2017 में भी सिर्फ 4 महिलाएं विधायक बनीं थीं. 2017 में सियासी दलों ने 64 महिला प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा था, जिनमें से 4 विधानसभा पहुंची.

हिमाचल में हर दूसरा वोटर महिला है

महिलाएं ज्यादा वोट देती हैं- हर बार विधानसभा चुनाव में हिमाचल में महिला मतदाताओं की संख्या भले एक से दो फीसद कम रहती हो लेकिन मतदान करने के मामले में वो हर बार पुरुषों को काफी पीछे छोड़ती हैं. साल 2022 में कुल महिला वोटर्स में से 76.76% महिलाओं ने वोट दिया जबकि वोट डालने वाले पुरुषों की संख्या 70.77% थी. इसी तरह साल 2017 में भी पुरुष वोटरों में से 70.58% ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया, जबकि वोट डालने वाली महिला मतदाताओं का आंकड़ा 77.92% था. मतदान में महिलाओं की बढ़ चढ़कर भागीदारी हर बार देखने को मिलती है फिर चाहे विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव लेकिन आधी आबादी की ये भागीदारी विधानसभा की हिस्सेदारी में तब्दील नहीं हो पाती.

हिमाचल में पुरुषों से अधिक वोट डालती हैं महिलाएं

महिला विधायकों के लिहाज से क्यों पीछे है हिमाचल- इसे विडंबना ही कहेंगे कि जिस हिमाचल प्रेदश में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी 50 फीसदी से अधिक है वहां मौजूदा समय में सिर्फ एक ही महिला विधायक है. यहां 68 विधायकों की विधानसभा में एक बार भी 10 फीसदी महिला विधायक नहीं रहीं, सबसे ज्यादा साल 1998 में 6 महिला विधायक जीतकर पहुंची थीं. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर ऐसा क्यों है.

वरिष्ठ पत्रकार नवनीत शर्मा के अनुसार पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में बेशक महिला साक्षरता दर उल्लेखनीय है लेकिन राजनीति में नारी शक्ति को अब तक उसका हक उचित अनुपात में नहीं मिल सका है. इसके लिए सियासी दल तो जिम्मेदार हैं ही, साथ में महिलाओं के लिए अवसरों का सृजन करने वाली सारी सामाजिक इकाईयों की भी जिम्मेदारी है. ये अलग बात है कि पंचायत स्तर पर नारी शक्ति अच्छी संख्या में प्रतिनिधित्व रखती है. अब तक सियासी दलों ने अधिक संख्या में महिला प्रत्याशियों को टिकट भी नहीं दिया है लेकिन अब महिला आरक्षण बिल के बाद ये सूरत बदलेगी. नवनीत शर्मा के मुताबिक सियासी दल कोई भी हो महिलाओं को टिकट देने में सभी ने कंजूसी की है लेकिन महिला आरक्षण बिल पास होगा तो समाज से लेकर सदन तक महिलाओं की भागीदारी बढ़ना तय है.

हिमाचल विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व

बिल पास होने पर क्या होगा ?- मार्च 2010 में महिला आरक्षण बिल राज्यसभा से पास हो चुका है और अब मोदी सरकार ने इसे लोकसभा में पेश कर दिया है. लोकसभा में बीजेपी के संख्या बल और विपक्ष के समर्थन को देखते हुए इसका पास होना तय है. ऐसे में इस बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद संसद से लेकर विधानसभाओं और विधान परिषदों में आधी आबादी की 33 फीसदी हिस्सेदारी होगी. ऐसा होने पर हिमाचल विधानसभा में भी 22 से 23 महिला विधायक नजर आएंगी.

महिलाओं को टिकट देने में कंजूसी करते हैं सियासी दल

हिमाचल में महिला विधायक- हिमाचल में इस वक्त 14वीं विधानसभा का कार्यकाल चल रहा है और अब तक सिर्फ 42 महिला विधायक सदन का हिस्सा रही हैं. हिमाचल प्रदेश में 1967 के विधानसभा चुनाव में पहली बार महिलाएं चुनाव मैदान में उतरीं. 1967 में 2 महिलाओं ने चुनाव लड़ा, हालांकि चुनाव एक भी महिला प्रत्याशी नहीं जीत पाई. साल 1972 में पहली बार महिला विधायक चुनीं गई और इस बार पदमा, सरला शर्मा, चंद्रेश कुमारी और लता ठाकुर के रूप में 4 महिला विधायक विधानसभा पहुंचीं. इसके दो साल बाद 1974 में हुए उपचुनाव में विद्या स्टोक्स भी पहली बार विधानसभा पहुंची. जो कुल 8 बार महिला विधायक रहने के साथ-साथ कैबिनेट मंत्री भी रहीं. साल 1998 में सबसे ज्यादा 6 महिला विधायक विधानसभा पहुंची थी. जबकि 2007 में 5 महिला प्रत्याशी विधानसभा चुनाव जीतीं थीं. 2022 की ही तरह साल 1977 में भी 68 विधायकों में सिर्फ एक महिला विधायक थी.

ये भी पढ़ें:हिमाचल की राजनीति में महिलाओं की भूमिका ज्यादा लेकिन भागीदारी कम, विधानसभा चुनावों में सौतेला व्यवहार क्यों ?

ABOUT THE AUTHOR

...view details