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अब दीवानी कोर्ट में होगी लेखक सलमान रुश्दी की संपत्ति से जुड़े मामले की सुनवाई, हिमाचल हाईकोर्ट ने दी मंजूरी

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मशहूर लेखक सलमान रुश्दी की सोलन स्थित संपत्ति पर कब्जा करने से जुड़े मामले को दीवानी अदालत में चलाने की अनुमति दे दी है. हरियाणा के दो लोगों ने रुश्दी की संपत्ति पर कानूनी हक जताया है. उन्होंने खुद को रुश्दी का स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी बताया था.

Himachal High Court on Salman Rushdie property
सलमान रुश्दी की संपत्ति से जुड़े मामले की सुनवाई.

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Published : Oct 19, 2022, 10:25 AM IST

शिमला: भारतीय मूल के मशहूर लेखक सलमान रुश्दी की सोलन स्थित संपत्ति पर कब्जा करने से जुड़े मामले को दीवानी अदालत में चलाने की अनुमति देते हुए प्रदेश हाईकोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया. उल्लेखनीय है कि सलमान रुश्दी की सोलन स्थित संपत्ति को लेकर दो पक्षों के बीच विवाद चल रहा है और इस विवाद को निपटाने के लिए संपत्ति की देखभाल करने वाला केयर टेकर गोविंद राम हाईकोर्ट पहुंचा था. हरियाणा के दो लोगों ने रुश्दी की संपत्ति पर कानूनी हक जताया है. उन्होंने खुद को रुश्दी का स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी बताया था. मुख्य न्यायाधीश अमजद ए सैयद व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले को दीवानी अदालत में सुलझाने की इजाजत देते हुए मामले का निपटारा किया है. (Himachal High Court on Salman Rushdie property) (property of writer Salman Rushdie in himachal )

सोलन निवासी गोविंद राम की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि हरियाणा के अनिरुद्ध विजय शंकर दास और राजेश त्रिपाठी ने सलमान रुश्दी की संपत्ति पर अपना हक जताया है. जबकि याचिकाकर्ता के अनुसार वह इस संपत्ति की वर्ष 1997 से देखभाल कर रहा है और अब उसे जबरदस्ती बाहर निकाला जा रहा है. अनीस विल्ला के नाम से जानी जाने वाली सलमान रुश्दी की इस संपत्ति पर पहले राजस्व विभाग ने कब्जा किया हुआ था. (Salman Rushdie property in himachal)

कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद विभाग ने इस संपत्ति को सलमान रुश्दी के हवाले किया था. अदालत को बताया गया कि सलमान रुश्दी ने इस संपत्ति की देखभाल के लिए अधिवक्ता विजय शंकर दास को अटॉर्नी धारक बनाया था. शंकर दास ने याचिकाकर्ता को इस संपत्ति की देखभाल के लिए तैनात किया गया था. अटॉर्नी धारक अधिवक्ता विजय शंकर दास की 10 वर्ष पूर्व मौत हो गई है. ऐसे में इस संपत्ति का कोई भी अटॉर्नी धारक नहीं है.बिना ठोस सबूत के याचिकाकर्ता इस संपत्ति को किसी अनजान लोगों के हाथ में नहीं दे सकता.

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