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विधानसभा चुनाव से पहले हिमाचल कांग्रेस को बड़ा झटका, पवन काजल और लखविंद्र राणा बीजेपी में शामिल

हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. कांग्रेस के दो बड़े विधायक पवन काजल और लखविंद्र राणा बीजेपी में शामिल हो गए हैं. जानिए चुनाव से पहले आखिर दोनों विधायकों ने हाथ का साथ छोड़ बीजेपी का दामन थामने को क्यों मजबूर हुए हैं...

पवन काजल और लखविंद्र राणा बीजेपी में शामिल
पवन काजल और लखविंद्र राणा बीजेपी में शामिल

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Published : Aug 17, 2022, 3:48 PM IST

शिमला:हिमाचल के दो कांग्रेस विधायक बीजेपी में शामिल (pawan kajal joins bjp) हो गए हैं. कांगड़ा से विधायक पवन काजल और नालागढ़ से विधायक लखविंद्र राणा (lakhwinder rana joins bjp ) ने बीजेपी का दामन थाम लिया. इस साल होने वाले हिमाचल विधानसभा चुनाव से पहले ये कांग्रेस के लिए बड़ा झटका हैं. दिल्ली में बीजेपी कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में दोनों विधायकों ने बीजेपी की सदस्यता ली. इस मौके पर हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप (Himachal BJP President Suresh Kashyap) भी मौजूद रहे.

पवन काजल बीजेपी में शामिल: बीजेपी में शामिल होने के बाद पवन काजल (himachal congress mla pawan kajal) ने कहा कि मैंने अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता की भावनाओं को समझते हुए ये फैसला लिया है. पवन काजल ने जेपी नड्डा से लेकर पीएम मोदी और जयराम ठाकुर की तारीफ की और कहा कि जेपी नड्डा हिमाचल जैसे छोटे राज्य से हैं और दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के मुखिया हैं. उन्होंने कहा कि जनता चाहती है कि हिमाचल में बीजेपी की सरकार बने.

पवन काजल बीजेपी में शामिल.

लखविंद्र राणा बीजेपी में शामिल: नालागढ़ से विधायक लखविंद्र सिंह राणा (himachal congress mla lakhwinder rana) ने बीजेपी ज्वाइन करने के बाद कहा कि कांग्रेस एक परिवार की पार्टी है, वहां सिर्फ एक परिवार की ही चलती है. जबकि दूसरी और बीजेपी के लिए पार्टी ही परिवार है. इसलिये हम बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. लखविंद्र राणा ने पीएम मोदी और जेपी नड्डा के नेतृत्व की तारीफ की और कहा कि नालागढ़ विधानसभा सीट पर बीजेपी की जीत के लिए पूरी मेहनत करेंगे.

लखविंद्र राणा बीजेपी में शामिल..

हिमाचल कांग्रेस को झटका: जयराम ठाकुर ने कहा कि पवन काजल और लखविंद्र राणा के बीजेपी में शामिल होने से हिमाच प्रदेश में बीजेपी को ताकत मिलेगी. कांग्रेस नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं, जिससे प्रदेश में पार्टी मजबूत हो रही है. कांग्रेस नेताओं का बीजेपी में आना बता रहा है कि कांग्रेस देशभर से खत्म हो चुकी है और अब हिमाचल में भी उसका कोई भविष्य नहीं है. हिमाचल प्रदेश में बीजेपी इस बार सरकार बदलने की परंपरा टूटेगी और इस बार बीजेपी की सरकार रिपीट करेंगे. जयराम ठाकुर ने कहा कि इस बार हमने सरकार नहीं, परंपरा बदलने का नारा दिया है. जैसा कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में हुआ है.

दोनों अपनी पार्टी से हैं नाराज-बता दें कि हिमाचल में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं. बताया जा रहा है कि दोनों विधायक पार्टी में खुद की अनदेखी से नाराज हैं. पवन काजल को कांग्रेस ने कार्यकारी अध्यक्ष तो बनाया था, लेकिन पार्टी कार्यक्रमों में तवज्जो ना मिलने से वो नाराज थे. पवन काजल और सुधीर शर्मा के बीच भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा था. बेशक काजल कार्यकारी अध्यक्ष (pawan kajal joins bjp) थे, लेकिन उन्हें पार्टी आयोजनों में प्रमुखता नहीं दी जा रही थी. एक तरह से उन्हें अनदेखा किया जा रहा था. इसी तरह से नालागढ़ से विधायक लखविंद्र राणा भी कई कारणों से कांग्रेस पार्टी से (lakhwinder rana joins bjp) नाराज चल रहे थे. पार्टी उनके विधायक रहते हुए ही उनके सियासी प्रतिद्वंद्वी हरदीप सिंह बावा को बढ़ावा दे रही थी. जिससे साफ लग रहा था कि पार्टी उनपर बावा को तरजीह दे रही है. जिसके चलते कांग्रेस के दोनों दिग्गज विधायकों ने कांग्रेस का हाथ छोड़ने का फैसला लिया.

पवन काजल ओबीसी चेहरा- पवन काजल के जाने से कांग्रेस को उस कांगड़ा जिले में बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है जहां से होकर हिमाचल की सत्ता का रास्ता जाता है. 15 सीटों वाले जिले में बीजेपी को एक प्रभावशाली नेता मिलने का फायदा होगा. पवन काजल दो बार से लगातार विधायक हैं. पवन काजल ओबीसी चेहरा हैं और भाजपा के पास कांगड़ा में ओबीसी वर्ग का कोई बड़ा चेहरा नहीं था. कांग्रेस को काजल की बगावत की खबर लगी तो आनन-फानन में उन्हें कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया और पूर्व सांसद चंद्र कुमार को ये जिम्मेदारी सौंप दी गई.

नालागढ़ में बीजेपी होगी मजबूत-लखविंद्र राणा नालागढ़ के विधायक हैं और लंबे समय से भाजपा के खिलाफ कोई सख्त बयान नहीं दे रहे थे. वैसे भी वे संघ परिवार के करीबी रहे हैं. राणा एबीवीपी व भाजयुमो में सक्रिय रहे हैं. साल 2005 में वो कांग्रेस में चले गए थे, वर्ष 2011 में उपचुनाव में वे कांग्रेस के टिकट से विजयी हुए और फिर 2017 में चुनाव जीते. अब 17 साल बाद फिर से भाजपा में शामिल हो गए हैं.

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