नई दिल्ली : हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे 8 दिसंबर को आएंगे. यहां कांग्रेस के आंतरिक सर्वे (internal survey) में सकारात्मक नतीजे आने की उम्मीद जताई गई है, जिसके बाद मुख्यमंत्री पद के लिए कई दावेदार एआईसीसी के साथ अभी से लॉबिंग कर रहे हैं (Himachal CM hopefuls doing the rounds in Delhi). लेकिन हाईकमान नतीजे आने तक 'वेट एंड वॉच' का रुख अपना रहा है.
सूत्रों के मुताबिक, राज्य इकाई की प्रमुख प्रतिभा सिंह, सीएलपी नेता मुकेश अग्निहोत्री और अभियान समिति के प्रमुख सुखविंदर सिंह सुक्खू राज्य सरकार के शीर्ष पद के लिए अपना दावा पेश करने के लिए पिछले कुछ दिनों में कई वरिष्ठ नेताओं से मिल रहे हैं.
23 नवंबर को प्रतिभा सिंह ने अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को राज्य के चुनावों के बारे में जानकारी दी थी. 25 नवंबर को उन्होंने दिल्ली में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ चुनावों पर चर्चा की थी. भूपेश बघेल हिमाचल चुनावों के लिए एआईसीसी के पर्यवेक्षक हैं. बघेल शुक्रवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मुख्यमंत्रियों और राज्यों के वित्त मंत्रियों की प्री-बजट बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली में थे.
4 दिसंबर को संचालन समिति की बैठक होनी है जिसमें कांग्रेस प्रमुख गुजरात और हिमाचल चुनाव के साथ अन्य दबाव वाले मुद्दों की समीक्षा करेंगे. इस बैठक से पहले शनिवार को बघेल और खड़गे ने पहाड़ी राज्य में पार्टी की संभावनाओं पर चर्चा की.
सूत्रों के अनुसार राज्य के नेता एक आंतरिक सर्वेक्षण के कारण पैरवी कर रहे हैं. सर्वे में हिमाचल में कांग्रेस को 40-45 सीटों के बीच मिलने की उम्मीद जताई गई है. 2017 के हिमाचल प्रदेश चुनावों में भाजपा ने कुल 68 सीटों में से 44 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस को 21 सीटें मिली थीं.
इस सकारात्मक फीडबैक से एआईसीसी के पदाधिकारी खुश हैं लेकिन वह पार्टी के उत्साह को सार्वजनिक नहीं करना चाहते हैं. एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'प्रतिक्रिया सकारात्मक है लेकिन हमें आधिकारिक परिणामों की प्रतीक्षा करनी चाहिए. एक आंतरिक सर्वेक्षण ने राज्य के नेताओं को उत्साहित किया है जो दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं के साथ पैरवी कर रहे हैं.'
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार सबसे पुरानी पार्टी में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का फैसला करना हमेशा एक कठिन अभ्यास होता है. उन्होंने कहा कि हालांकि पार्टी हलकों के भीतर विभिन्न क्रमपरिवर्तन और घात पर चर्चा की जा रही है, निर्णय लेने की प्रक्रिया वास्तविक संख्या पर बहुत अधिक निर्भर करेगी.
एआईसीसी के रणनीतिकार ने कहा, 'ऐसे कई फैक्टर हैं जिनका निर्णय पर असर पड़ता है. यदि हमारे पास आधे से ज्यादा सीटें होती हैं तो मुख्यमंत्री तय करना अपेक्षाकृत आसान है. लेकिन अगर सीटों की संख्या आधे से कम हैं तो हमें सभी को एकजुट करने के साथ प्रभावशाली व्यक्ति की जरूरत है.' सूत्रों का कहना है कि अगर संख्या कम है, तो निर्णय लेने से पहले नवनिर्वाचित विधायकों की भी राय ली जाती है.