नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ( Union Home Ministry) पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर प्रतिबंध लगाने के लिए सभी विकल्प तलाश रहा है, जबकि भारत की शीर्ष खुफिया एजेंसियां भी उसी तर्ज पर काम कर रही हैं और इस तरह के प्रतिबंध लगाने के लिए आवश्यक सभी सबूतों की जांच कर रही हैं. घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला (Union Home Secretary Ajay Kumar Bhalla) पहले ही मंत्रालय के अन्य शीर्ष अधिकारियों के साथ मुद्दों पर चर्चा कर चुके हैं.
बताया जाता है कि भल्ला और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने पहले ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ इस मुद्दे पर पीएफआई के खिलाफ देशव्यापी कार्रवाई के कुछ दिनों बाद चर्चा की थी. बताया गया कि गृह मंत्री अमित शाह को भी इन घटनाक्रमों से अवगत करा दिया गया है. सूत्रों ने कहा कि कोई भी अंतिम निर्णय लेने से पहले सरकार किसी भी प्रतिबंध के बाद के सभी कानूनी विकल्प के बारे में भी विचार कर रही है. पता चला है कि एनआईए और ईडी जैसी खुफिया एजेंसियों को भी गृह मंत्रालय ने पीएफआई के जब्त किए गए सभी गैजेट्स की जांच करने को कहा है.
बता दें कि देशव्यापी छापेमारी के बाद, विभिन्न स्थानों से बड़ी संख्या में आपत्तिजनक दस्तावेज और पीएफआई गतिविधियों से संबंधित डिजिटल उपकरण जब्त किए गए हैं. इस बारे में एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि हम प्रतिबंध लगाने की सिफारिश करने से पहले पीएफआई गतिविधियों और नेताओं के कब्जे से एकत्र किए गए सभी सबूतों की जांच कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि एनआईए पहले ही कह चुकी है कि गिरफ्तार किए गए सभी लोगों पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया जाएगा. भारत में 42 आतंकवादी संगठन गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, (यूएपीए) 1967 की पहली अनुसूची में सूचीबद्ध हैं, जबकि 13 संगठनों को यूएपीए, 1967 की धारा 3 के तहत गैरकानूनी संघों की सूची में शामिल किया गया है. अब तक की खुफिया सूचनाओं में आतंकवाद और आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण, सशस्त्र प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने और प्रतिबंधित संगठनों में शामिल होने के लिए लोगों को कट्टरपंथी बनाने में पीएफआई नेताओं और कैडरों की संलिप्तता पाई गई है.