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यमुना नदी में गंदा पानी जाने देने वाले अधिकारियों पर हो कार्रवाई : इलाहाबाद हाईकोर्ट - High court orders for action against officials

यूपी सरकार ने मथुरा में यमुना नदी किनारे घाटों का सुंदरीकरण प्रोजेक्ट शुरू किया है. जिसके तहत नदी में पाइपलाइन डाली जा रही है, ताकि सीवर का पानी कामन एसटीपी में ले जाकर शोधित किया जा सके. महंत मधु मंगल दास शुक्ल ने जनहित याचिका दायर की है जिसपर कोर्ट ने कहा कि मथुरा में जितना सीवर का पानी उत्सृजित होता है, एसटीपी की क्षमता उससे काफी कम है.

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Published : Sep 16, 2021, 8:35 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा में यमुना नदी में बिना शोधित गंदा पानी जाने देने के जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने पूछा है कि गैर शोधित पानी का नदी में मिलने का क्या प्रभाव होगा. कोर्ट ने पूरी जिम्मेदारी से एसटीपी व ईटीपी मैनेजमेंट पर राज्य सरकार व नगर निगम से 23 सितंबर तक जवाब मांगा है.

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी तथा न्यायमूर्ति एके ओझा की खंडपीठ ने महंत मधु मंगल दास शुक्ल की जनहित याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कहा कि मथुरा में जितना सीवर का पानी उत्सृजित होता है, एसटीपी की क्षमता उससे काफी कम है. इसलिए पूरे गंदे पानी का शोधन नहीं किया जा सकता. इसलिए यमुना नदी में गंदा पानी जा रहा है.

इससे पहले कोर्ट ने महाधिवक्ता से पूछा था कि नदी को गंदे पानी का टार्गेट क्यों बनाया जाता है. सरकार इसकी व्यवस्था क्यों नहीं करती. कोर्ट ने कहा कि याचिका की वर्षों से सुनवाई चल रही है. कानपुर नगर में अभी भी गंदा पानी गंगा में जा रहा है. जल निगम, जिलाधिकारी व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दाखिल हलफनामे विरोधाभासी हैं. इससे पता चलता है कि सिस्टम आपसी सहयोग से नहीं चल रहा.

कोर्ट ने कहा कि केन्द्र व राज्य की गंगा-यमुना नदी को साफ रखने की मंशा साफ है, इसके बावजूद अधिकारी प्रबंधन नहीं कर पा रहे. गंदा पानी नदी में बिना शोधित मिल रहा है. बता दें कि सरकार ने मथुरा में यमुना नदी किनारे घाटों का सुंदरीकरण प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसके तहत नदी में पाइपलाइन डाली जा रही है ताकि सीवर का पानी कामन एसटीपी में ले जाकर शोधित किया जा सके.

याची ने इसपर आपत्ति जताई है कि नदी में पड़ी पाइप से रात में गंदा पानी छोड़ दिया जायेगा. कोर्ट ने प्रोजेक्ट पर रोक लगा रखी है. महाधिवक्ता का पूरा जोर प्रोजेक्ट चालू कराने पर था, लेकिन गंदा पानी यमुना नदी में न जाने पाये, इसका कोई प्लान नहीं था. लिहाजा कोर्ट ने मैनेजमेंट प्लांट की हलफनामे में पूरी जानकारी मांगी है. अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी.

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