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जम्मू कश्मीर में अवैध समाचार पोर्टलों के खिलाफ कार्रवाई करने हाई कोर्ट का निर्देश - मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथल

जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय (High Court of Jammu and Kashmir and Ladakh) ने प्रदेश में बिना लाइसेंस के चल रहे अवैध समाचार पोर्टलों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सूचना विभाग को आदेश दिया है. पढ़िए पूरी खबर...

High Court of Jammu and Kashmir and Ladakh
जम्मू कश्मीर और लद्दाख के उच्च न्यायालय

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Published : Jun 4, 2022, 7:14 PM IST

श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर):जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के उच्च न्यायालय (High Court of Jammu and Kashmir and Ladakh) ने केंद्र शासित प्रदेश में बिना उचित लाइसेंस और अनुमति के चल रहे समाचार पोर्टलों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है. इस संबंध में कोर्ट ने शनिवार को सूचना विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देशित किया. एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथल (Chief Justice Pankaj Mithal) और न्यायमूर्ति डीएस ठाकुर (Justice DS Thakur) की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को संबंधित प्राधिकरण के समक्ष सोशल मीडिया पर समाचार पोर्टलों के बारे में विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया.

पीठ ने आगे कहा कि यदि याचिकाकर्ता सभी विवरण और सुझाव संबंधित प्राधिकरण को देता है, तो जम्मू-कश्मीर प्रशासन और प्रमुख सचिव, सूचना विभाग को इस पर विचार करना चाहिए और तुरंत उचित कार्रवाई करनी चाहिए. वहीं याचिकाकर्ता सामाजिक और आरटीआई कार्यकर्ता एमएम शुजा ने अपनी याचिका में दावा किया है कि सोशल मीडिया पर समाचार पोर्टलों की संख्या बढ़ रही है और वे ज्यादातर फर्जी खबरें फैलाने में शामिल हैं.

फर्जी खबरें फैलाने वाली समाचार एजेंसियों के बारे में उदाहरणों का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है, कश्मीर न्यूज, कश्मीर वॉयस, कश्मीर ब्रेकिंग न्यूज, न्यूज कश्मीर 24/7, कश्मीर बिजनेस हब और बोल कश्मीर जैसे न्यूज पोर्टल बिना किसी पंजीकरण या लाइसेंस के काम कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा है कि जम्मू और कश्मीर के दोनों क्षेत्रों में विभिन्न समाचार एजेंसियां ​​और व्हाट्सएप/फेसबुक/यूट्यूब समाचार चैनल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक समाचार एजेंसियां ​​​​हैं जो विभिन्न समाचार बुलेटिन और रिपोर्ट का प्रसारण करने में सक्रिय हैं. साथ ही यह भी कहा गया है कि फेसबुक और व्हाट्सएप पत्रकार अब सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ निजी अधिकारियों, सिविल ठेकेदारों आदि को ब्लैकमेल करते भी नजर आते हैं. याचिका में कहा गया है कि रामबन और बडगाम के उपायुक्तों ने पहले ही फर्जी खबरें चलाने और सरकारी अफसरों को ब्लैकमेल करने वाले समाचार पोर्टलों पर ध्यान दिया है.

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