नई दिल्ली: इजराइल-हमास युद्ध के जारी रहने के बीच अब तक दोनों पक्षों के 4,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं ईरान समर्थित शिया आतंकवादी समूह हिजबुल्लाह के द्वारा लेबनान सीमा पार से इजराइली बलों के साथ गोलीबारी की जा रही है. हालांकि पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से दोनों पक्षों के बीच भीषण गोलीबारी हो रही है. इसके बावजूद सीमा पार से गोलाबारी अब तक सीमित है. दूसरी तरफ इसको लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या हिजबुल्लाह युद्ध का एक नया मोर्चा खोल रहा है, भले ही इजराइल गाजा में हमास के साथ क्यों न उलझ रहा हो.
हालांकि ईरान और हिजबुल्लाह दोनों शिया संस्थाएं हैं, लेकिन फिलिस्तीनी मुद्दे के साथ उनका गहरा वैचारिक और धार्मिक जुड़ाव है. इस वजह से इसे उत्पीड़न और अन्याय के खिलाफ संघर्ष के रूप में देखा जा रहा है. इतना ही नहीं कई फिलिस्तीनी सुन्नी मुसलमान हैं, लेकिन यह मौजूद मजबूत वैचारिक संबंधों को नकारता नहीं है. खासकर जब इजराइल का सामना करने की बात आती है तो इसे एक आम प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जाता है. ईरान और हिजबुल्लाह ने लगातार पश्चिम एशिया में इजराइल और उसकी नीतियों का विरोध किया है. वे इजराइल की स्थापना को एक ऐतिहासिक अन्याय के रूप में देखते हैं, और वे किसी भी समूह या कारण का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो इजराइली कब्जे का विरोध करता है. साथ ही वे क्षेत्र में इसे इजराइली आक्रामकता के रूप में देखते हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि हिजबुल्लाह सीमित गोलाबारी का सहारा ले रहा है, यह इजराइल को गाजा में जमीनी आक्रमण शुरू करने से रोकने की चेतावनी है. वहीं इजराइल भी इसको लेकर सधी हुई प्रतिक्रिया दे रहा है, यही वजह है कि दोनों पक्षों के बीच टकराव नहीं बढ़ा है. इस बारे में इराक और जॉर्डन के पूर्व भारतीय राजदूत दयाकर ने ईटीवी भारत से कहा कि गाजा में किसी भी इजराइली जमीनी हमले से श्रृंखलाबद्ध प्रतिक्रिया शुरू होने की संभावना है. इसमें उत्तर में हिजबुल्लाह के अलावा दक्षिण में हौथिस और इराक और सीरिया में शिया मिलिशिया, सभी समर्थक हमास के समर्थन में इजराइल पर मिसाइल या रॉकेट से हमले शुरू कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि सीरिया में इस्लामिक स्टेट के बचे लोग भी हमास के समर्थन में शामिल हो सकते हैं. दयाकर ने हमास के समर्थन में तुर्की के युद्ध में शामिल होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया. हालांकि इजराइल के गाजा में जमीनी हमले को लेकर ईरान के द्वारा चेतावनी दी जाती रही है, लेकिन उसके देश की सीमा इजराइल से नहीं लगती है. वहीं ईरान के पास ऐसी मिसाइलें भी नहीं हैं जो 300 किमी की दूरी पार करके इजराइली क्षेत्र में पहुंच सकें. लेकिन लेबनाना में हिजबुल्लाह और यमन में हौथिस दोनों के पास ईरान द्वारा आपूर्ति की गई मिसाइलें हैं.
क्या हिजबुल्लाह इजराइल के साथ युद्ध में शामिल होने का जोखिम उठा सकता है? क्या इसके पास साधन हैं?
वाशिंगटन डीसी स्थित अटलांटिक काउंसिल थिंक टैंक में हिजबुल्लाह के विशेषज्ञ निकोलस ब्लैनफोर्ड के अनुसार, हिजबुल्लाह आज इजराइल को सबसे बड़ा नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखता है. अल जजीरा ने ब्लैनफोर्ड के हवाले से कहा कि हिजबुल्लाह के पास कम से कम 60,000 लड़ाके हैं, जिनमें पूर्णकालिक और रिजर्व दोनों शामिल हैं. समूह के पास 150,000 मिसाइलों का भंडार भी है. इनमें कम दूरी की मिसाइलें और ईरान द्वारा आपूर्ति की गई 300 किमी की रेंज वाली सटीक-निर्देशित मिसाइलें शामिल हैं. हिजबुल्लाह के पास एक विशेष बल भी है, जिसके सदस्यों को युद्ध की स्थिति में इज़राइल में घुसपैठ करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है.