नई दिल्ली: भारत में वर्तमान बिजली शुल्क संरचना को बहुत जटिल बताते हुए, विद्युत मंत्रालय की एक संसदीय समिति ने इस बात पर जोर दिया है कि बिजली शुल्क के विभिन्न प्रमुख घटकों को युक्तिसंगत बनाने की बहुत आवश्यकता है. वर्तमान बिजली शुल्क संरचना बहुत जटिल और विविध है, 'इस तरह बिजली शुल्क के विभिन्न प्रमुख घटकों के युक्तिकरण की बहुत आवश्यकता है.' समिति समझती है कि वर्तमान में या एक बार में पूरे देश में एक समान टैरिफ होना बहुत मुश्किल होगा.
संसदीय समिति ने हाल ही में लोकसभा में पेश अपनी 26वीं रिपोर्ट में कहा, 'हालांकि, समिति की राय है कि मंत्रालय को टैरिफ ढांचे के युक्तिकरण की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए.' राजीव रंजन सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि केंद्र सरकार को राज्य सरकारों के साथ इस संबंध में उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए व्यापक चर्चा करनी चाहिए ताकि किसी समय इस वांछित लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके.
समिति ने यह भी कहा कि देश में कुल स्थापित क्षमता 3,88,848 मेगावाट है, जबकि अब तक की अधिकतम मांग लगभग 2,00,000 मेगावाट रही है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा,'वर्ष के दौरान देश में कोयला और लिग्नाइट आधारित बिजली संयंत्रों का प्लांट लोड फैक्टर (पीएलएफ) 53.37 प्रतिशत था. ऐसे बिजली संयंत्रों के कम उपयोग से डिस्कॉम( DISCOMS) द्वारा निश्चित लागत का भुगतान किया जाता है जो अंततः अंतिम उपभोक्ताओं को दिया जाता है.'