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शर्मनाक! 10 साल से जानवरों की तरह पेड़ से बंधा है बच्चा.. गरीबी बन रही इलाज में रोड़ा - मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीर

गोपालगंज में गरीबी और मजबूरी का दंश झेल रहे माता पिता ने मजबूरी में अपने बेटे को कैद किया. 13 साल का विक्षिप्त मासूम एक पिछले 10 साल से कैदी की तरह पेड़ों से बंधा हुआ है. इस बीमारी का इलाज है लेकिन काफी महंगा होने के चलते लाचार माता-पिता ने मजबूरन इसे पेड़ से बांधकर रखा है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Apr 5, 2022, 2:33 PM IST

गोपालगंज:बिहार के गोपालगंज से बेहद मार्मिक तस्वीरें सामने आई हैं. जहां गरीबी और मजबूरी का दंश झेल रहे माता-पिता ने अपने कलेजे के टुकड़े को बीमारी की वजह से पिछले 10 साल से पेड़ से बांधकर रख रखा है. मामला जिला मुख्यालय गोपालगंज से करीब 35 किलोमीटर दूर बरौली प्रखंड के सलेमपुर गांव का है. गरीबी और बीमारी की वजह से 13 साल का विक्षिप्त मासूम एक कैदी की तरह पेड़ों से बंधा है. इसकी वजह ये है कि बच्चे के गरीब मां-बाप उसका इलाज करवाने में सक्षम नहीं है.

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गरीबी और मजबूरी का दंश:दरअसल, इस मामले में बताया जाता है कि जनार्दन प्रसाद और सिंधु देवी के बेटे आकाश को 4 साल की उम्र में तेज बुखार हुआ था. गरीब परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि अपने बच्चे का इलाज करा सकें. इसके बावजूद किसी तरह अपनी क्षमता के मुताबिक अपने बच्चे का इलाज कराने की कोशिश की, लेकिन वह कारगर साबित नहीं हुआ. इसी कारण बच्चा मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गया. तब से लेकर आज तक पिछले 10 सालों से इस बच्चे को यूं ही एक ही पेड़ से बांध कर रखा जाता है.

10 साल से जानवरों की तरह पेड़ से बंधा है बच्चा

मां सिंधु देवी कहती हैं कि ''तीन बच्चे में आकाश सबसे बड़ा बेटा है. मजबूरी में अपने बेटे को पेड़ से रस्सी में बांध कर रखती हैं, ताकि वह कहीं भाग न जाए. मेरा बेटा चाहे जैसा है लेकिन मेरी आंखों के सामने रहे, इसलिए इसे बांधकर रखने को मजबूर हूं. हमें देखने वाला कोई नहीं है. हम बच्चे का इलाज नहीं करवा सकते हैं. हम चाहते हैं किसी तरह उसका इलाज हो जाए ताकि वो स्वस्थ होकर अपने परिवार के साथ रह सके.''

लाचार मां बाप ने लगाई मदद की गुहार:मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीर (This picture that shames humanity) से स्थानीय लोग भी दुखी है. विकास और सुशासन के बड़े-बड़े दावे करने वाली बिहार सरकार और सामाजिक संस्थाओं के पास इनके लिए कोई योजना नहीं है. गरीबी से लाचार बेबस मां बाप आज भी सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

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