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उत्तराखंड में 'हेलमेट मैन', जिंदगियां बचाने के लिए घर-जमीन तक बेच दी

बिहार के रहने वाले राघवेंद्र कुमार को 'हेलमेट मैन' के नाम से भी जाना जाता है. इन दिनों राघवेंद्र देहरादून में सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान चला रहे हैं. बता दें कि 2014 में उनकी दोस्त की मौत बाइक एक्सीडेंट में हो गई, जिसकी मुख्य वजह हेलमेट नहीं पहनना था. जिसके बाद से राघवेंद्र अपनी नौकरी छोड़ और घर-जमीन बेच देशभर में लोगों को हेलमेट और सड़क सुरक्षा के प्रति जागरुक (road safety campaign in dehradun) कर रहे हैं.

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Published : Mar 29, 2022, 10:47 PM IST

देहरादून : देशभर में सड़क सुरक्षा की अलख जगाने वाले 'हेलमेट मैन' राघवेंद्र अब उत्तराखंड में जागरूकता अभियान के लिए पहुंचे (Bihar Helmet man in uttarakhand) हैं. सड़क हादसे में अपने दोस्त कृष्ण कुमार की मौत का उनके दिल और दिमाग में इतना गहरा असर हुआ कि, उन्होंने सड़क सुरक्षा की मुहिम चलाने के लिए अपने घर तक को बेच दिया. पिछले आठ सालों से देश के 22 राज्यों में लोगों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करने वाले राघवेंद्र कुमार इन दिनों उत्तराखंड में अपने मिशन (road safety campaign in dehradun) के लिए पहुंचे हैं.

बता दें कि 'हेलमेट मैन ऑफ इंडिया' (Helmet Man of India) नाम से अपनी पहचान बनाने वाली राघवेंद्र कुमार बिहार के कैमूर जिले (Helmet Man bihar Raghavendra Kumar) के रहने वाले हैं. राघवेंद्र किसान के बेटे हैं और गरीब परिवार से आते हैं, लेकिन अपनी आंखों में कई सपने लेकर 2009 में वह लॉ से ग्रेजुएशन करने के वह दिल्ली पहुंचे थे. इस दौरान उनकी कई लोगों से दोस्ती हुई थी, लेकिन कृष्ण कुमार से उनकी दोस्ती समय के साथ काफी गहरी होती चली गई. राघवेंद्र, कृष्ण कुमार को अपने बड़े भाई की तरह मानते थे. कृष्ण कुमार भी बिहार के मधुबनी जिले के रहने वाले थे.

उत्तराखंड में 'हेलमेट मैन'

29 मार्च 2014 को आज ही के दिन राघवेंद्र को खबर मिली की कृष्ण का एक्सीडेंट हो गया है. आनन-फानन में राघवेंद्र अपने दोस्तों के साथ कृष्ण को लेकर अस्पताल पहुंचे. बता दें कि कृष्ण कुमार किसी काम से अपनी बाइक से ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे से गुजर रहे थे, तभी पीछे से एक ट्रक ने उन्हें टक्कर मार दी. वहीं, हादसे के वक्त उन्होंने हेलमेट नहीं पहना था, जिसके चलते उनके सिर पर गहरी चोट आई थी. लेकिन डॉक्टर उन्हें नहीं बचा पाए और 8 दिनों के के बाद कृष्ण की मौत हो गई. राघवेंद्र के सबसे प्रिय दोस्त कृष्ण की सांसे हमेशा-हमेशा के लिए थम गई. कृष्ण अपने माता-पिता के इकलौते लड़के थे. कृष्ण की मौत राघवेंद्र के लिए किसी सदमें से कम नहीं थी.

अपने बेहद करीबी मित्र को सड़क हादसे में खोने का राघवेंद्र पर गहरा असर पड़ा, जिसके बाद राघवेंद्र ने ठाना कि कोई भी अपनों को इस तरह से ना खोये इसके लिए वो एक मुहीम चलायेंगे. इसके लिए पिछले 8 सालों में राघवेंद्र देशभर के 22 राज्यों में सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता अभियान चला रहे हैं. इतना ही नहीं इस मुहीम को जिंदा रखने के लिए राघवेंद्र ने ना सिर्फ अपनी नौकरी छोड़ी, बल्कि अपना घर सहित 7 बीघा जमीन बेचकर देशभर दुपहिया सड़क हादसा से बचाव को लेकर जागरूकता अभियान बड़ी शिद्दत से जारी रखे हुए हैं.

इन दिनों राघवेंद्र कुमार उत्तराखंड में सड़क सुरक्षा जागरूकता मिशन के लिए पहुंचे हैं. मंगलवार को उन्होंने देहरादून एसएसपी और ट्रैफिक डीआईजी के साथ मिलकर शहर में बाइक रैली निकाली और लोगों को सड़क हादसों को प्रति जागरूक किया. इस दौरान उन्होंने कई लोगों को निःशुल्क हेलमेट भी बांटे. राघवेंद्र अब तक 22 राज्यों में जागरूकता अभियान के तहत 55 हजार हेलमेट अपने खर्चे से बांट चुके हैं. ताकि सड़क हादसे में किसी की जान न जाए.

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राघवेंद्र की इस मुहीम को लेकर ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की. इस दौरान राधवेंद्र ने बताया कि साल 2014 में नोएडा में उनके करीबी मित्र बिना हेलमेट के सड़क पर बाइक चला रहे थे, तभी दुर्घटना का शिकार हो गए. इस हादसे में उनके दोस्त के सिर पर गहरी चोट लगी थी और मौत हो गई थी. इस घटना ने बाद राघवेंद्र ने तय किया कि अब वो सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता अभियान (Helmet Man Raghavendra launched road safety campaign) चलाएंगे. ताकि किसी और की इस तरह सड़क हादसे में मौत न हो. इसी अभियान को उन्होंने अपनी जिंदगी की मिशन बना लिया.

इस मिशन के लिए उन्होंने सबसे पहले अपनी नौकरी छोड़ी और दिल्ली नोएडा स्थित अपना घर बेचकर सड़क सुरक्षा के प्रति जागरुकता अभियान को देशभर में चलाने का कार्य शुरू किया. इतना ही नहीं राघवेंद्र ने बिहार में अपनी 7 बीघा पुस्तैनी जमीन को भी इस अभियान जारी रखने के लिए बेच चुके हैं. ताकि सड़क पर बिना हेलमेट के बाइक चलाने वाले ज्यादा से ज्यादा लोगों को हेलमेट नि:शुल्क बांट सके.

राघवेंद्र का कहना है कि बिना हेलमेट के सड़क हादसे में जब किसी घर का चिराग जान गंवा देता है तो उस घटना के कुछ दिन बाद ही लोग मुख्य कारण को भूलकर फिर से बिना हेलमेट और सड़क नियमों का उल्लंघन कर हादसों को बार-बार न्योता देते हैं, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. राघवेंद्र कुमार के मुताबिक देश में हर साल हजारों लाखों लोग इस तरह सड़क हादसों के शिकार होते हैं. लेकिन किसी ना किसी को तो अपने स्तर से इस तरह के जागरूकता अभियान को आगे बढ़ाना होगा. यही कारण है कि उन्होंने अपनी जिंदगी को अब देशभर में सड़क सुरक्षा अभियान के लिए समर्पित कर दिया है.

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