नई दिल्ली :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कैबिनेट में व्यापक बदलाव किया है. इस जंबो साइज विस्तार (jumbo-size expansion) में 2024 के चुनावों का खास ध्यान रखा गया है. जातिगत आंकड़ें तो कम से कम यही बताते हैं. इस बदलाव में 62 प्रतिशत मंत्री ओबीसी, एससी या एसटी समुदायों से हैं. इन तीन कैटेगरी की देश की आबादी लगभग 66 प्रतिशत है. साफ जाहिर है कि बदलाव का मुख्य उद्देश्य 'लोकलुभावन' है.
मंत्रिपरिषद की औसत आयु भी तीन वर्ष घटकर 61 वर्ष से 58 वर्ष हो गई है जबकि नव-शपथ ग्रहण करने वाले मंत्रियों की औसत आयु 56 वर्ष है. जाहिर है, 'पुराने' गार्ड ने 'नए' को रास्ता दे दिया है.
राजनीति के दिग्गज माने जाने वाले रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, हर्षवर्धन और संतोष गंगवार जैसे कुछ वरिष्ठों को शामिल न किया जाना आश्चर्यजनक रहा. रमेश पोखरियाल निशंक (Ramesh Pokhriyal Nishank), डीवी सदानंद गौड़ा (D V Sadananda Gowda), थावरचंद गहलोत (Thaawarchand Gehlot ) और बाबुल सुप्रियो (Babul Supriyo) को भी कैबिनेट में जगह नहीं मिली. गौरतलब है कि अटल बिहारी वाजपेयी के साथ दो दशक से भी अधिक 'पुराने गार्ड' से केवल राजनाथ सिंह और मुख्तार अब्बास नकवी ही बचे हैं.
महत्व और निहितार्थ:
1 : कानून और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) को अचानक हटाए जाने को अमेरिकी सरकार, पश्चिम और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया दिग्गजों को शांत करने के कदम के रूप में देखा जा सकता है, जिनके साथ सरकार का काफी आमना-सामना हुआ है. इसके अलावा, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने वाले कानून, कश्मीर में इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने, नागरिकता संशोधन अधिनियम आदि को अमेरिका और पश्चिमी देशों का नजरिया सकारात्मक नहीं रहा है.
जो बाइडेन (Joe Biden) के नेतृत्व वाले अमेरिकी शासन ने अधिकारों के मुद्दों पर भी अपना ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है. भविष्य में इस मुद्दे पर और ज्यादा ध्यान दिए जाने की उम्मीद है, क्योंकि हाल ही में आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी का निधन हुआ है जिसके बाद अमेरिका सहित अंतरराष्ट्रीय मंच से नकारात्मक टिप्पणियां सामने आई हैं. प्रसाद को हटाना एक आसान तरीका हो सकता है कि इन गंभीर मामलों को शांत किया जाए. प्रधानमंत्री साल के अंत तक अमेरिका यात्रा कर सकते हैं, ऐसे में इस कदम से अनुकूल माहौल बनेगा.
2:स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन (Harshvardhan) और उनके उप मंत्री अश्विनी चौबे का हटाया जाना इस बात का संकेत है कि कोविड महामारी की घातक दूसरी लहर का प्रबंधन उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव में मुद्दा बन सकता था. इसलिए ये कदम उठाया गया.
3 : डॉ. एस जयशंकर के नेतृत्व वाले विदेश मंत्रालय में अब तीन कनिष्ठ मंत्री हैं. वी मुरलीधरन के अलावा, दो और लोगों मीनाक्षी लेखी और राजकुमार रंजन सिंह ने बुधवार को शपथ ली. ये आने वाले दिनों में मंत्रालय की व्यापक और महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है. वास्तव में विदेश नीति ने बहुत लंबे समय के बाद सरकार में महत्व प्राप्त किया है.