अहमदाबाद : गुजरात में 45 लोगों की जान लेने वाले चक्रवात तौकते की वजह से खड़ी फसलों को भी काफी नुकसान पहुंचा है. किसानों ने कहा कि मुख्य रूप से गिर सोमनाथ और जूनागढ़ जैसे तटीय इलाकों में उगाए जाने वाले केसर प्रजाति के आम की फसल तथा राज्य के दूसरे इलाकों में नारियल और केले की फसल को भी खासा नुकसान पहुंचा है.
उन्होंने कहा कि जूनागढ़, गिर सोमनाथ तथा अमरेली और भावनगर के कुछ हिस्सों में नारियल तथा भरूच, तापी, वडोदरा, आणंद और खेड़ा के कुछ इलाकों समेत अन्य जिलों में केले की फसल को नुकसान के साथ ही गर्मियों की अन्य खड़ी फसलों को भी नुकसान हुआ है.
किसानों ने कहा कि जूनागढ़, गिर सोमनाथ और वलसाड जिलों में आम के सैकड़ों पेड़ उखड़ गए तथा उनमें लगे लगभग सभी आम चक्रवाती हवाओं की वजह से पेड़ से टूट कर जमीन पर गिर गए.
गिर सोमनाथ जिले के तलाला में 75 एकड़ के आम के बगीचे के मालिक किरीट पटेल ने कहा कि आम की केसर प्रजाति के लिए प्रसिद्ध जूनागढ़ व गिर सोमनाथ जिलों में चक्रवात की वजह से काफी नुकसान हुआ है. इन आमों को यहां से न सिर्फ बड़ी संख्या में देश के दूसरे हिस्सों में भेजा जाता था बल्कि विदेशों में भी निर्यात किया जाता था.
केसर आम के करीब 40 प्रतिशत पेड़ उखड़ गए
पटेल भाजपा नेता और तलाला कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) के अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने कहा, 'केसर आम के करीब 40 प्रतिशत पेड़ उखड़ गए हैं, जो बड़ा नुकसान है क्योंकि फसल के लिए एक पेड़ को तैयार करने में करीब 15 साल का वक्त लगता है. लगभग सभी आम पेड़ों से टूटकर जमीन पर गिर गए हैं और इन कच्चे आमों से उत्पादकों को कोई खास फायदा नहीं होने वाला.'
जूनागढ़ जिले के विसावदर के एक अन्य आम उत्पादक ने बताया, 'पेड़ पर एक भी आम नहीं बचा है. कई पेड़ उखड़ गए हैं. हमें उम्मीद है कि सरकार हमें कुछ सहायता उपलब्ध कराएगी.' ये इलाका भी आम की केसर प्रजाति के लिए प्रसिद्ध है.
उत्पादकों ने कहा कि आम की केसर और अलफांसो प्रजाति के लिये चर्चित वलसाड जिले में भी फसल को काफी नुकसान हुआ है.