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Uttarkashi Tunnel Rescue Day 4: दिल्ली से एयरलिफ्ट कर लाई गई हैवी ऑगर ड्रिल मशीन, सिलक्यारा के लिए बना ग्रीन कॉरिडोर

Rescue with Heavy auger drilling machines in Silkyara Tunnel उत्तरकाशी के सिलक्यारा में सुरंग में फंसे 40 मजदूरों को बचाने का काम युद्ध स्तर पर जारी है. प्राकृतिक बाधा के कारण हालांकि रेस्क्यू के लिए ड्रिलिंग की रफ्तार धीमी है, लेकिन प्लान बी पर भी काम चल रहा है. आज केंद्रीय एजेंसियां एयरफोर्स की मदद से भारी ऑगर ड्रिलिंग मशीन (Auger Drilling Machine) उत्तरकाशी लाई हैं. चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर हैवी ऑगर ड्रिल मशीन को उतारा गया है. अब ग्रीन कॉरिडोर बनाकर ये मशीन सिलक्यारा हादसा साइट तक पहुंचाई जाएगी.

Uttarkashi Tunnel Rescue
उत्तरकाशी टनल हादसा

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 15, 2023, 10:14 AM IST

Updated : Nov 15, 2023, 4:21 PM IST

उत्तरकाशी पहुंची हैवी ऑगर मशीन

उत्तरकाशी (उत्तराखंड): उत्तरकाशी के सिलक्यारा में चारधाम रोड परियोजना की टनल में भू धंसाव से फंसे श्रमिकों को बचाने की जद्दोजहद जारी है. ताजा मलबा गिरने के कारण ड्रिलिंग की गति धीमी है. अब केंद्रीय एजेंसियों (Central agencies) द्वारा वायु सेना (Air Force) की मदद से भारी ऑगर ड्रिलिंग मशीन उत्तरकाशी लाई गई है. बताया जा रहा है कि इससे राहत और बचाव कार्यों में तेजी आएगी. डीजीपी अशोक कुमार ने ने बताया कि हम जल्द ही सभी श्रमिकों को सुरक्षित बचा लेंगे.

भारी ऑगर मशीनों पर टिका रेस्क्यू: इसके साथ ही सिलक्यारा टनल में भूस्खलन के चलते फंसे 40 मजदूरों को बचाने के लिए अब उम्मीदें भारी ऑगर मशीन पर भी टिकी हुई हैं. पाइप पुशिंग तकनीकी वाली यह मशीन सुरंग में आए मलबे के बीच ड्रिलिंग कर 880 से 900 एमएम के पाइप को अंदर भेजेगी. इससे एक रास्ता तैयार होगा. उस रास्ते से टनल के अंदर फंसे लोग बाहर आ पाएंगे.

रविवार सुबह निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में भूस्खलन हुआ था. भूस्खलन के बाद मलबा 60 मीटर के दायरे में फैला हुआ है. सोमवार से लेकर मंगलवार तक करीब 25 मीटर क्षेत्र से मलबा हटाया गया. लेकिन रुक-रुककर मलबा गिरना जारी है. इसके चलते राहत और बचाव कार्य प्रभावित हो रहा है.

दिल्ली से लाई गई हैवी ऑगर ड्रिलिंग मशीन

क्या हैं ऑगर मशीन: सोमवार दिन में यहां ऑगर मशीन से ड्रिलिंग करने का निर्णय लिया गया था. यह मशीन मंगलवार सुबह 6 बजे साइट पर पहुंची. जिसके लिए दिनभर पहले प्लेटफार्म तैयार करने का काम हुआ. शाम को मशीन स्थापित कर ली गई. इस मशीन की बात करें तो इसका प्रयोग सीवेज पाइप और पाइपलाइनों को बुनियादी ढांचे के नीचे स्थापित करने के लिए किया जाता है.

हैवी ऑगर मशीन से होगी ड्रिलिंग

यह मशीन यहां सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए ड्रिलिंग कर रही है. सीओ प्रशांत कुमार ने बताया कि ऑगर मशीन को स्थापित कर लिया गया है. जिससे माइल्ड स्टील पाइप को मलबे में धकेल कर रास्ता तैयार किया जा रहा है, जिससे मजदूर बाहर आएंगे.

सिलक्यारा टनल में मजदूरों के फंसने जैसे घटना उत्तरकाशी में पहले भी हुई है. मनेरी भाली बांध परियोजना द्वितीय चरण की एचआरटी सुरंग में 650 मीटर पर एक बार भूस्खलन हुआ था. इसमें 14 मजदूर फंस गए थे. इन मजदूरों को करीब 12 घंटे बाद सुरक्षित निकाला गया था. परियोजना से जुड़े रहे मशीन ऑपरेटर तिलक राज ने हादसे से जुड़ी यादें साझा करते हुए बताया कि कॉन्टिनेंटल कंपनी को उत्तरकाशी से धरासू तक 17 किमी लंबी सुरंग में से 4.5 किमी सुरंग बनाने का काम मिला था. वर्ष 2003-04 में जब सुरंग का काम चल रहा था तो 650 मीटर की दूरी पर भूस्खलन हुआ. जिसमें 14 मजदूर फंस गए. कड़ी मशक्कत कर सभी को 12 घंटे बाद सुरक्षित निकाल लिया गया था. हालांकि यह जल विद्युत परियोजना की टनल थी. जबकि सिलक्यारा में जिस सुरंग में हादसा हुआ है वह सड़क सुरंग हैं.
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Last Updated : Nov 15, 2023, 4:21 PM IST

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