वाराणसी : ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले को लेकर मंगलवार को न्यायालय में समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और एआईएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ हेड स्पीच मामले में सुनवाई हुई, यह सुनवाई कल होनी थी, लेकिन कंडोलेंस की वजह से सुनवाई की दी थी. अब इस मामले में अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगी.
ज्ञानवापी में पिछले साल कमीशन कार्रवाई के दौरान मिले कथित शिवलिंग को बार-बार फव्वारा कहने और वहां गंदगी करने के मामले में सीनियर एडवोकेट हरिशंकर पांडेय की तरफ से अखिलेश यादव व असदुद्दीन ओवैसी समेत मस्जिद की देखरेख करने वाली कमेटी और दो हजार अन्य लोगों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग कोर्ट से की गई थी. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. इस पर याचिका दायर करते हुए फिर से सुनवाई शुरू की गई है, जिस पर आज सुनवाई होगी, वहीं जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में श्रृंगार गौरी प्रकरण में राखी सिंह की ओर से दाखिल अर्जी पर 13 सितंबर को अपना आदेश सुनाएगी, वहीं इसी मामले में वादिनी संख्या दो से पांच की ओर से पिछली तिथि को ज्ञानवापी परिसर में मिले साक्ष्यों को सरंक्षित करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट को आदेश दिए जाने की मांग करने वाली अर्जी पर सोमवार को प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से आपत्ति दाखिल की गई. इस अर्जी पर सुनवाई के लिए पहले से ही 13 सितंबर की तिथि नियत है. बता दें कि श्रृंगार गौरी प्रकरण की वादिनी संख्या एक राखी सिंह ने कोर्ट में ज्ञानवापी परिसर में मुस्लिमों का प्रवेश रोकने और पूरे ज्ञानवापी परिसर को संरक्षित करने की कोर्ट से मांग करते हुए अर्जी दी है.
इस अर्जी पर पिछली तिथि को बहस पूरी होने के बाद जिला जज की कोर्ट ने आदेश के लिए पत्रावली सुरक्षित रखते हुए 13 सितंबर की तिथि नियत कर दी थी, वहीं इसी मामले में वादिनी की ओर से पिछली तिथि को ज्ञानवापी परिसर में मिले साक्ष्यों को संरक्षित करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट को आदेश दिए जाने की मांग करने वाली अर्जी पर सुनवाई करते हुए मुस्लिम पक्ष से आपत्ति मांगी थी, जिस पर सोमवार को मुस्लिम पक्ष की ओर से कोर्ट में अपनी आपत्ति दाखिल कर दी गई है. इस आपत्ति में कहा गया है कि वादिनी संख्या 2 से 5 ने बेबुनियाद तथ्यों के आधार पर प्रार्थना पत्र कोर्ट में दिया है. अभी वर्तमान में ज्ञानवापी परिसर में एएसआई द्वारा सर्वे की कार्यवाही की जा रही है. साथ ही यह भी कहा गया है कि अभी तक एएसआई ने कोई भी आख्या कोर्ट में प्रस्तुत नहीं की है और न ही कोई साक्ष्य मिलने की बात कही. ऐसे में मनगढ़ंत तथ्यों के आधार पर मुकदमे को मात्र विलंबित करने के उद्देश्य से वादिनी पक्ष की ओर से प्रार्थना पत्र दिया गया है, जो खारिज होने योग्य है. मुस्लिम पक्ष की आपत्ति आने के बाद इस मामले में अदालत 13 सितंबर को सुनवाई करेगी.