नई दिल्ली :दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi Highcourt) जेएनयू कैंपस (JNU Campus) में कोविड केयर सेंटर (Covid Care Center) खोलने के लिए दायर याचिका पर आज सुनवाई करेगा. जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच याचिका पर सुनवाई करेगी. पिछले 12 जुलाई को कोर्ट ने दिल्ली सरकार को इस बात के लिए फटकार लगाई थी कि वो जेएनयू कैंपस में कोविड केयर सेंटर के प्रस्ताव पर तेजी से काम नहीं कर रही है.
कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार ये क्या कर रही है. बाद में आप लेफ्ट, राईट और केंद्र को बदनाम करना शुरु कर देंगे.
याचिकाकर्ता की ओर से वकील अभिक चिमनी ने कहा था कि अभी कोरोना के मामले ज्यादा नहीं हैं. इस पर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को भी फैसला लेना है. तब कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा था कि पिछले आदेश के बाद दिल्ली सरकार ने क्या किया है?
दिल्ली सरकार की ओर से वकील रिजवान ने कहा था कि भले ही दिल्ली सरकार ने अभी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल नहीं किया है, लेकिन सरकार ने संबंधित विभाग को जेएनयू परिसर में कोविड केयर सेंटर स्थापित करने का प्रस्ताव भेजा है. कोर्ट ने कहा था कि यह आपका विभाग है? आपने जून में प्रस्ताव भेजा था? एक महीने बीत चुका है. वे कुछ नहीं कर रहे हैं इसका मतलब कि वे नहीं कर सकते हैं. तब दिल्ली सरकार ने कहा था कि दो हफ्ते के अंदर इस पर कार्रवाई होगी.
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पिछले 12 मई को कोर्ट ने जेएनयू प्रशासन को जेएनयू छात्र संघ और जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन के आग्रह पर उठाए गए कदमों संबंधी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने जेएनयू के कुलपति और रजिस्ट्रार को निर्देश दिया था कि वो कैंपस में कोविड केयर सेंटर स्थापित करने पर विचार करे. कोर्ट ने कहा था कि युनिवर्सिटी के सेंटर फॉर मेडिसिन एंड कम्युनिटी हेल्थ ने कोविड केयर सेंटर बनाने का प्रस्ताव दिया था.
युनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज ने भी कैंपस के अंदर ऑक्सीजन के उत्पादन का प्रस्ताव दिया था. कोर्ट ने युनिवर्सिटी के कुलपति और रजिस्ट्रार को दोनों प्रस्तावों पर विचार करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि छात्र 13 अप्रैल से ही कोरोना के बढ़ते मामलों की शिकायत कर रहे थे, लेकिन युनिवर्सिटी के कुलपति और प्रशासन ने एक महीने के बाद भी कोई जवाब नहीं दिया.
जेएनयू में पिछले 18 अप्रैल को कोरोना के 74 मामले सामने आए थे जो 7 मई तक बढ़कर 211 तक पहुंच गई. कोर्ट ने जेएनयू की इस बात के लिए फटकार लगाई थी कि उसने कोरोना की रोकथाम और पीड़ितों के इलाज के लिए न तो स्थानीय अस्पताल से कोई संपर्क किया और न ही संबंधित प्राधिकार से संपर्क किया.
कोर्ट ने कहा था कि युनिवर्सिटी प्रशासन छात्रों और शिक्षकों के स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार है. जिस तरह से बेड की किल्लत पेश आ रही है, उसे देखते हुए युनिवर्सिटी प्रशासन को इसके लिए पर्याप्त इंतजाम करने चाहिए थे. जब दूसरी संस्थाएं और संगठन अपने हिसाब से अपने कर्मचारियों और संबंधित पक्षों के लिए इंतजाम कर रही थी तो जेएनयू क्यों नहीं कर सकती थी.