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Shekhawat defamation case: गहलोत की पुनरीक्षण याचिका पर कोर्ट में सुनवाई टली, अगली जिरह 8 नवंबर को

शेखावत के मानहानि मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पुनरीक्षण याचिका पर दिल्ली की कोर्ट में बुधवार को सुनवाई टल गई. अब 8 नवंबर और 18 नवंबर को अगली सुनवाई होगी. इन तारीखों पर दोनों पक्षों की ओर से जिरह होगी. Shekhawat Defamation Case, Gehlot revision petition in defamation case, CM Ashok Gehlot

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 1, 2023, 3:29 PM IST

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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के मानहानि मामले में आरोपी राजस्थान के CM अशोक गहलोत की सेशन कोर्ट में दायर पुनरीक्षण याचिका पर बुधवार को सुनवाई टल गई. राउज एवेन्यू कोर्ट में दोनों पक्षों की ओर से अंतिम जिरह होनी थी. दोपहर दो बजे जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तो शेखावत के वकील विकास पाहवा सुप्रीम कोर्ट में व्यस्थ थे.

उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ऑनलाइन जुड़कर सुनवाई कर रहे विशेष सीबीआई जज एम के नागपाल से आज की सुनवाई टालकर आगे की तारीख देने का अनुरोध किया, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर 18 नवंबर की तारीख दे दी. वहीं, गहलोत की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर को जिरह के लिए आठ नवंबर की तारीख दे दी. मोहित माथुर की तरफ से आठ नवंबर को होने वाली जिरह का जवाब अब शेखावत के वकील विकास पाहवा 18 नवंबर को देंगे.

मजिस्ट्रेट कोर्ट ने अंतरिम आदेश देने से किया था इनकारः इससे पहले CM गहलोत ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में शेखावत की ओर से दायर मानहानि मामले को निराधार बताते हुए उसमें पुनरीक्षण याचिका दायर कर सेशन कोर्ट से उसे रद्द करने की मांग की थी. सेशन कोर्ट ने गहलोत को मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा जारी समन पर भी रोक लगाते हुए उन्हें मामले में लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेश होने की छूट दे रखी है. साथ ही मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस मामले में कोई भी अंतरिम आदेश पारित करने पर भी रोक लगा दी थी.

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पिछली सुनवाई में कोर्ट ने जताई थी नाराजगीः बता दें, इससे पहले कोर्ट ने मामले में गजेंद्र सिंह के वकील को बहस करने के लिए 30 अक्टूबर और एक नवंबर का समय दिया था. सुनवाई के दौरान अदालत ने गजेंद्र सिंह के वकील की ओर से कार में बैठकर वीसी से जुड़ने पर भी नाराजगी जताई थी. सुनवाई के दौरान गजेंद्र सिंह के अधिवक्ता ने मामले की सुनवाई कुछ दिन टालने की गुहार की थी.

वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से उनके अधिवक्ता ने प्रार्थना पत्र पेश कर निचली अदालत की ओर से आरोप तय करने पर रोक की गुहार लगाई थी. प्रार्थना पत्र में कहा गया कि यदि निचली अदालत आरोप तय कर देगी तो अदालत में चल रही पुनरीक्षण याचिका अर्थहीन हो जाएगी. ऐसे में निचली अदालत को मामले में आरोप तय करने से रोका जाए.

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