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UPSC परीक्षा : अभ्यर्थियों को अतिरिक्त मौके संबंधी अर्जी पर सुनवाई आज

कोरोना महामारी के कारण परीक्षा देने के आखिरी मौके से वंचित रह गए संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) के कुछ अभ्यर्थियों को सिविल सेवा परीक्षा में बैठने का अतिरिक्त मौका देने के मसले पर सुप्रीम कोर्ट आज (सोमवार) को सुनवाई करेगा.

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Published : Jan 25, 2021, 9:51 AM IST

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नई दिल्ली :उच्चतम न्यायालय आज उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें उन अभ्यर्थियों को यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में बैठने का एक और अवसर दिये जाने का अनुरोध किया गया है, जो पिछले साल कोविड-19 महामारी की स्थिति के कारण अपने आखिरी मौके से वंचित रह गए.

यह सुनवाई इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि पिछले शुक्रवार को केंद्र ने इस बात पर जोर था कि वह सिविल सेवा के उन अभ्यर्थियों को एक और मौका देने के पक्ष में नहीं है, जो 2020 में अपने आखिरी प्रयास के तहत परीक्षा नहीं दे पाये थे.

न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर के नेतृत्व वाली पीठ ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू की 22 जनवरी को कही गई बातों को संज्ञान में लिया था और सरकार से इस आशय का हलफनामा दाखिल करने को कहा था.

विधि अधिकारी ने पीठ से कहा था, हम एक और मौका देने के लिए तैयार नहीं हैं. मुझे हलफनामा दाखिल करने का समय दें... कल रात मुझे निर्देश मिला कि हम सहमत नहीं हैं.

पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुराई भी शामिल हैं. पीठ ने विधि अधिकारी से हलफनामे की प्रति सिविल सेवा अभ्यर्थी रचना के वकील को मुहैया कराने को कहा था, जिन्होंने परीक्षा में बैठने के लिए एक अतिरिक्त अवसर प्रदान करने की याचिका के साथ अदालत का रुख किया है.

इससे पहले, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया था कि सरकार उन सिविल सेवा अभ्यर्थियों को एक और अवसर प्रदान करने के मुद्दे पर विचार कर रही है, जो यूपीएससी परीक्षा के अपने अंतिम प्रयास में शामिल नहीं हो पाए थे.

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शीर्ष अदालत ने पिछले साल 30 सितंबर को देश के कई हिस्सों में कोविड-19 महामारी और बाढ़ के कारण यूपीएससी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा स्थगित करने से इनकार कर दिया था, जो चार अक्टूबर को आयोजित की गई थी. हालांकि, उसने केंद्र सरकार और संघ लोक सेवा आयोग को यह निर्देश दिया था कि वे उम्मीदवारों को एक अतिरिक्त मौका देने पर विचार करें, जिनका 2020 में आखिरी प्रयास है.

पीठ को तब बताया गया था कि एक औपचारिक निर्णय केवल कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा लिया जा सकता है.

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