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गठबंधन का नाम INDIA रखने को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई 4 जनवरी तक टली

Challenge in Delhi High Court to name alliance INDIA: विपक्षी दलों के गठबंधन का नाम INDIA रखने को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई 4 जनवरी तक टल गई है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 22, 2023, 6:22 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट में 26 पार्टियों के गठबंधन का नाम इंडिया रखने को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई 4 जनवरी तक के लिए टल गई. सुनवाई के दौरान 9 राजनीतिक दलों ने याचिका की मेंटेनेबिलिटी पर सवाल उठाया. इससे पहले 31 अक्टूबर को हाईकोर्ट में याचिका पर चुनाव आयोग ने अपना जवाब दाखिल किया था. कोर्ट में दाखिल हलफनामे में चुनाव आयोग ने बताया था कि वह राजनीतिक गठबंधनों को रेगुलेट नहीं कर सकते हैं.

अयोग ने बताया कि उन्हें जन प्रतिनिधित्व अधिनियम या संविधान के तहत रेगुलेटरी संस्था के रूप में मान्यता नहीं है. यह हलफनामा उस याचिका के जवाब में दिया गया, जिसमें चुनाव आयोग से विपक्षी गठबंधन को इंडिया नाम का इस्तेमाल करने से रोकने की मांग की गई थी. उल्लेखनीय है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा से मुकाबले के लिए 18 जुलाई 2023 को 26 विपक्षी पार्टियों द्वारा इंडिया गठबंधन बनाया गया था.

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2023 को 26 पार्टियों को संक्षिप्त नाम इंडिया का उपयोग करने से रोकने की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था. चुनाव आयोग ने अपने ताजा हलफनामे में 2021 के डॉक्टर जॉर्ज जोसेफ बना यूनियन ऑफ इंडिया मामले में केरल हाईकोर्ट के फैसले का हवाला दिया था. इसके मुताबिक, चुनाव आयोग को जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 29ए के तहत किसी राजनीतिक दल के निकायों या व्यक्तियों के संघ को रजिस्टर करने का अधिकार दिया गया है. जबकि, राजनीतिक दलों को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 आरपी एक्ट या संविधान के तहत रेगुलेटर संस्थाओं के रूप में मान्यता नहीं दी गई है.

डॉक्टर जॉर्ज जोसेफ के केस में केरल हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को राजनीतिक गठबंधन एलडीएफ, यूडीएफ या एनडीए के नाम संबंध में निर्देश देने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि आरपी एक्ट के तहत राजनीतिक गठबंधन कानूनी इकाई नहीं है. गिरीश भारद्वाज द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि 26 विपक्षी दल अगले साल आगामी लोकसभा चुनाव के लिए हमारे देश के नाम का अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं.

याचिका पर मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने चार अगस्त 2023 को केंद्र, चुनाव आयोग और विपक्षी दलों से जवाब मांगा था. शीर्ष चुनाव आयोग ने हकफनामे में यह भी कहा कि उसके पास केवल चुनाव से संबंधित मामलों को देखने का अधिकार है. भारद्वाज ने अपनी याचिका में यह भी दलील दी थी कि उन्होंने 19 जुलाई को चुनाव आयोग को एक प्रतिवेदन भेजा था, जिसमें शीर्ष चुनाव आयोग से इंडिया के इस्तेमाल के खिलाफ जरूरी एक्शन का अनुरोध किया गया था. लेकिन चुनाव आयोग पार्टियों के स्वार्थी कृत्य की निंदा करने या कोई कार्रवाई करने में विफल रहा है.

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