नई दिल्ली: आंकड़ों की मानें तो पूरी दुनिया में करीब 60 लाख और भारत में 05 लाख से ज्यादा लोगों की जान कोरोना महामारी की वजह से चली गई. इसके बाद इस घातक वायरस के प्रकोप की वजह से ही हेल्थ बीमा पॉलिसियों (health insurance policies) में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है. लोग अपनी रक्षा के लिए हेल्थ बीमा को प्राथमिकता दे रहे हैं. एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट (A report by SBI Research) में कहा गया है कि अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में, खुद को आर्थिक रूप से सुरक्षित करने लिए, हेल्थ बीमा पॉलिसी लेने की प्रवृत्ति बढ़ी है.
एक रिपोर्ट में भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष ने कहा कि महामारी ने लोगों को न केवल स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी की अनिवार्यता के बारे जागरूक किया है बल्कि इसे अपनाने के लिए प्रेरित भी किया है. आम लोग भी बीमा की पर्याप्त कवरेज, बेहतर सुविधाओं, निर्बाध सेवाओं की जरूरतों के बारे में जागरूक हुए हैं. घोष ने कहा कि इस अहसास ने अधिक लोगों को बीमा खरीदने के लिए प्रेरित किया, जो बेहतर पॉलिसियां कवरेज के साथ ही क्लेम देने में अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड रखते हैं.
कोरोना बना बड़ा कारण
पिछले वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च 2021 की अवधि) में खुदरा स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों में 28.5% की भारी उछाल दिखी और यह 26301 करोड़ रु तक पहुंच गया. यह वही समय था, जब डेल्टा वायरस देश में पहुंच चुका था. उद्योग के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के पहले दस महीनों के दौरान बीमा कंपनियों के स्वास्थ्य बीमा पोर्टफोलियो में 25.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. यह दर्शाता है, कि इस अवधि के दौरान खुदरा स्वास्थ्य नीतियों में 17.3% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि समूह स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों में 30.1% की वृद्धि दर्ज की गई है.