नई दिल्ली:केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकीपॉक्स से निपटने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी शनिवार को बीमारी के प्रसार को लेकर सतर्कता बरतने को कहा है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. तमोरिश कोले (Dr Tamorish Kole) ने 'ईटीवी भारत' से कहा, 'यह बहुत चिंता का विषय है क्योंकि डब्ल्यूएचओ ने भी इसे अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है. यह पिछली बार के विपरीत वयस्कों को प्रभावित कर रहा है.संक्रमण तेज है.' कोले का बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत भर के कुछ राज्यों में एक बार फिर से कोविड-19 के मामलों में तेजी देखी जा रही है.
स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने हाल ही में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सभी रोगसूचक रोगियों की कड़ी निगरानी करने का सुझाव दिया है. हालांकि भारत में केवल केरल में पहला मंकीपॉक्स का मामला सामने आया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार जनवरी 2022 के बाद से 50 देशों में कुल 3,413 मंकीपॉक्स के मामलों की पुष्टि हुई है. एक की मौत हुई है.
डॉ. कोले ने कहा, 'भारत (केरल) में पहला बीमारी का मामला केवल एक प्राकृतिक अनुक्रम है.' केरल में मंकीपॉक्स के मामले का पता चलने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने जांच के लिए राज्य में एक उच्च स्तरीय टीम पहले ही भेज दी है. जैसा कि कई देशों में पहले से ही मंकीपॉक्स के मामलों का प्रकोप देखा जा चुका है, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने भी सरकार से अंतरराष्ट्रीय यात्रियों पर नजर रखने की अपील की है.
दरअसल, मंकीपॉक्स से संक्रमित पाया गया 35 वर्षीय शख्स 12 जुलाई को इंडिगो की फ्लाइट से शारजाह से तिरुवनंतपुरम पहुंचा था. आईएमए के महासचिव डॉ. जयेश एम लेले ने कहा, ' सरकार के लिए बीमारी से ग्रस्त देशों से आने वाले यात्रियों के आगमन पर नजर रखना बहुत जरूरी है.' स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए दिशानिर्देश जारी किए, जिसमें उन्हें बीमार लोगों के साथ निकट संपर्क से बचने, मृत या जीवित जंगली जानवरों और अन्य लोगों के संपर्क में आने से बचने की सलाह दी गई है. कोले ने कहा, 'दिशानिर्देश अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को बुशमीट खाने या अफ्रीकी जंगली जानवरों से प्राप्त उत्पादों (क्रीम, लोशन, पाउडर) का उपयोग करने से बचने की सलाह देते हैं.'
मंकीपॉक्स क्या है? (What is monkeypox?) :मंकीपॉक्स एक वायरस है, जो रोडेन्ट और प्राइमेट जैसे जंगली जानवरों में पैदा होता है. इससे कभी-कभी मानव भी संक्रमित हो जाता है. मानवों में अधिकतक मामले मध्य और पश्चिम अफ्रीका में देखे गए है, जहां यह इन्डेमिक बन चुका है. इस बीमारी की पहचान सबसे पहले वैज्ञानिकों ने 1958 में की थी, जब शोध करने वाले बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए थे, इसलिए इसे मंकीपॉक्स कहा जाता है. मानव में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में मिला था, जब कांगो में रहने वाला 9 साल बच्चा इसकी चपेट में आया था.
अफ्रीका के बाहर पहला मंकीपॉक्स का मामला अमेरिका में दर्ज किया गया था. मंकीपॉक्स का मनुष्य से मनुष्य संचरण मुख्य रूप से सांस के जरिए होता है. इसके लिए लंबे समय तक निकट संपर्क की आवश्यकता होती है. यह शरीर के तरल पदार्थ या घाव सामग्री के सीधे संपर्क के माध्यम से और घाव सामग्री के साथ अप्रत्यक्ष संपर्क के माध्यम से भी फैल सकता है.
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