नई दिल्ली : संसद की अगली पंक्ति में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी दिखे. बीजू जनता दल की ओर से सस्मित पात्रा मौजूद थे. उसके बाद बहुजन समाज पार्टी, तेलगु देशम पार्टी और लोजपा के प्रतिनिधि बैठे हुए थे. इन सभी पार्टियों ने विपक्षी पार्टियों के अलग स्टैंड लिया और वे संसद के उद्धाटन कार्यक्रम में शामिल हुए.
पीएम मोदी खुद एचडी देवेगौड़ा से मिलने आए. उन्होंने हाथ पकड़कर उनका स्वागत किया. विपक्षी दलों की कुल 20 पार्टियों ने इस कार्यक्रम का विरोध किया था. इन पार्टियों ने दूसरी पार्टियों से भी संसद के उद्घाटन कार्यक्रम में हिस्सा न लेने की अपील की थी. हालांकि, इन पार्टियों ने कहा कि संसद भवन के कार्यक्रम का विरोध करना लोकतंत्र की सही परंपरा नहीं है.
वैसे, आप गौर करेंगे तो पाएंगे कि ये वही पार्टियां हैं, जो समय-समय पर मोदी सरकार का साथ देती रहीं हैं. इसके बावजूद कि वे एनडीए का हिस्सा नहीं हैं. जब भी विपक्ष गोलबंद होने लगता है तो ये दल उनकी हवा निकाल देते हैं. या फिर कहें तो वे मोदी सरकार के साथ खड़ी हो जाती हैं. सरकार के कई महत्वपूर्ण बिल इनकी बदौलत ही पास हुए हैं. अब जबकि एक बार फिर से कई दल कोशिश कर रहे हैं कि विपक्ष को एक किया जाए और मोदी सरकार के खिलाफ मिलकर चुनाव लड़ें, इन पार्टियों की वजह से उनके मंसूबे सफल नहीं हो पा रहे हैं. हां, ये बात जरूर है कि राजनीति में छह महीने का वक्त बहुत बड़ा वक्त होता है.
एचडी देवेगौड़ा तो कई मौकों पर पीएम मोदी की प्रशंसा कर चुके हैं. लोजपा के चिराग पासवान को तो भाजपा का 'हनुमान' ही कहा जाता है. जगन मोहन रेड्डी की राजनीतिक स्थिति ऐसी है कि वह कांग्रेस का समर्थन नहीं कर सकती है. कमोबेश वही स्थिति बीजू जनता दल की है. अब कहा ये जा रहा है कि हो सकता है इनमें से भी कुछ दल भाजपा के साथ जा सकते हैं. कुछ राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि संसद के उद्घाटन समारोह में जिस तरीके से पीएम मोदी ने देवेगौड़ा का स्वागत किया, उससे एक बड़ा राजनीतिक संदेश जरूर जा रहा है.
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