नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ( Delhi High Court) ने उस याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया, जिसमें दिल्ली पुलिस को निर्देश देने का आग्रह किया गया था कि संपत्ति के मालिकाना हक के तौर पर 'पावर ऑफ अटॉर्नी' ( power of attorney) को स्वीकार नहीं करे.
मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल ( Chief Justice DN Patel) और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह (Justice Jyoti Singh) की पीठ ने वकील और याचिकाकर्ता से पूछा, ' आप चाहते हैं कि दिल्ली पुलिस घर-घर जाकर सर्वेक्षण करे?'
याचिका दायर करने वाले वकील मनोहर लाल शर्मा ने कहा कि दिल्ली पुलिस को जब शिकायत मिलती है कि किसी व्यक्ति ने 'पावर ऑफ अटॉर्नी' के आधार पर संपत्ति रखी है तो उसे कार्रवाई करनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि 'पावर ऑफ अटॉर्नी' अवैध दस्तावेज है और अगर किसी व्यक्ति ने इसके आधार पर कोई संपत्ति रखी है तो उस पर भारतीय दंड संहिता और कालाधन कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए.
अदालत ने शर्मा से कहा कि वह या तो याचिका वापस ले लें अन्यथा उन पर वह जुर्माना लगाएगी.