बेंगलुरु : कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक पूर्व मुख्य सचिव के खिलाफ मामला चलाने को मंजूरी प्राप्त करने के वास्ते प्रयास करने में विफल रहने को लेकर कर्नाटक सरकार की उसके सुस्त रवैये के लिए खिंचाई की और उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. सरकारी अधिवक्ता ने गत 20 अप्रैल, 2022 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अभियोजन की मंजूरी के लिए छह सप्ताह का समय मांगा था और अदालत ने छह सप्ताह का समय दिया था.
उच्च न्यायालय ने अपने हालिया आदेश में कहा, 'ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार को मामले को आगे बढ़ाने और राज्य की संपत्ति की रक्षा करने में कोई दिलचस्पी नहीं है. इसलिए, राज्य के रवैया की आलोचना की जानी चाहिए और उसने आज तक डीओपीटी (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) से स्वीकृति प्राप्त करने के लिए कागजात संसाधित नहीं किए हैं और अभी तक कागजात नहीं भेजे हैं.' उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जिसका भुगतान एक सप्ताह के भीतर किया जाना है.
अदालत ने कहा, 'राज्य सरकार को जुर्माना राशि जमा करने और संबंधित से वसूल करने का निर्देश दिया जाता है, जिन्होंने छह सप्ताह का समय दिए जाने के बावजूद डीओपीटी से मंजूरी प्राप्त करने के लिए कागजात भेजने को लेकर कोई कदम नहीं उठाये.' मूल शिकायत भास्करन ने दायर की थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि तत्कालीन मुख्य सचिव अरविंद जाधव ने उपायुक्त, सहायक आयुक्त और अनेकल तालुक के तहसीलदार के साथ मिलकर अनेकल तालुक के गांव रामनायकनहल्ली में सरकारी जमीन से संबंधित फर्जी दस्तावेज बनाने के लिए आधिकारिक शक्ति का दुरुपयोग किया था.