अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय ने जबरन या विवाह के जरिए धोखे से किये जाने वाले धर्मांतरण को दंडनीय बनाने वाले एक संशोधित कानून के तहत दर्ज पहले मामले में जेल में कैद चारों व्यक्तियों को अंतरिम राहत देते हुए बुधवार को जमानत दे दी.
यह मामला संशोधित गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत वड़ोदरा में दर्ज किया गया था, जो एक अंतर-धार्मिक दंपती से संबद्ध है. मुख्य आरोपी सहित चारों व्यक्तियों को अदालत ने अंतरिम राहत दी है. याचिका संयुक्त रूप से आरोपियों और शिकायतकर्ता- मुख्य आरोपी की पत्नी ने दायर की है. याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि पूरे प्रकरण में कोई सांप्रदायिक पहलू नहीं है और उन्होंने प्राथमिकी का कारण रहे विवाद को सुलझा लिया है.
महिला के अधिवक्ता हीतेश गुप्ता ने बताया कि न्यायमूर्ति इलेश जे वोरा ने एक और आरोपी को गिरफ्तारी से संरक्षण दिया और कहा कि इस मामले में पुलिस अपनी जांच जारी रख सकती है, वह अदालत को सूचित किये बगैर आरोपी(महिला) के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल नहीं कर सकती है.
गिरफ्तारी से जिस आरोपी को संरक्षण दिया गया है, उस पर युवक-युवती (दंपती) का विवाह कराने में मदद करने की साजिश रचने और महिला को गर्भपात कराने की सलाह देने का आरोप है.
गुप्ता ने कहा, 'जो आरोपी अब भी जेल में हैं, अदालत ने उन्हें उनकी याचिका रद्द होने का अंतिम निर्णय होने तक अंतरिम उपाय के तौर पर रिहा करने का आदेश दिया.'