मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी जेसुइट पादरी और कार्यकर्ता स्टैन स्वामी (Stan Swamy) के मुंबई (Mumbai) स्थित निजी अस्पताल में भर्ती रहने की अवधि छह जुलाई तक बढ़ा दी. अदालत ने यह आदेश शनिवार को दिया.
वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई ने न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जामदार की पीठ को बताया कि 84 वर्षीय स्टैन स्वामी का अब भी मुंबई स्थित होली फैमिली अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में इलाज चल रहा है. उन्हें अदालत के आदेश पर 28 मई को नवी मुंबई के तलोजा जेल से अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत के लिए इस साल की शुरुआत में अधिवक्ता देसाई के जरिये दायर याचिका में स्वामी ने दावा किया था कि वह पार्किंसन सहित कई बीमारियों से ग्रस्त हैं. पिछले महीने अस्पताल में स्वामी को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया, जिसके बाद उन्हें आईसीयू में स्थानांतरित किया गया.
पीठ ने कहा कि अगली सुनवाई तक, उनको (स्वामी) निजी अस्पताल में इलाज कराने की अनुमति जारी रहेगी. स्वामी ने शुक्रवार को नए सिरे से याचिका दायर कर उनपर गैर कानूनी गतिविधि निवारण अधिनियम (यूएपीए) की धारा- 43डी(5) के तहत की गई कार्रवाई को भी चुनौती दी है. इस अधिनियम के तहत आरोपित व्यक्ति को जमानत देने पर सख्त पाबंदियां हैं.
बता दें कि एल्गार परिषद मामले में स्वामी और उनके सह आरोपियों को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने आरोपित किया है. एजेंसी के मुताबिक आरोपी मुखौटा संगठन के सदस्य हैं जो प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के लिए काम करता है.
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एल्गार परिषद मामला पुणे में 31 दिसंबर 2017 को आयोजित संगोष्ठी में कथित भड़काऊ भाषण से जुड़ा है. पुलिस का दावा है कि इस भाषण की वजह से अगले दिन शहर के बाहरी इलाके में स्थित कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक (Koregaon-Bhima War Memorial) के पास हिंसा हुई. पुलिस का दावा है कि इस संगोष्ठी का आयोजन करने वालों का संबंध माओवादियों के साथ था.
(पीटीआई-भाषा)