नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महिला को 24 हफ्तों से अधिक समय का अपना भ्रूण खत्म करने की अनुमति दे दी क्योंकि भ्रूण में विकृतियां होने के कारण अजन्मे शिशु के जीवित रहने की गुंजाइश बहुत कम थी.
हाई कोर्ट ने इस बात का जिक्र किया कि 24 वर्षीय महिला की जांच के लिए गठित मेडिकल बोर्ड ने उसे गर्भ खत्म करने के खतरों से अवगत कराया और यह राय भी दी कि वह मेडिकल प्रक्रिया के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ है.
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा, 'मेडिकल बोर्ड ने स्पष्ट रूप से कहा है कि याचिकाकर्ता (महिला) के भ्रूण में विकृतियों से अजन्में शिशु के जीवन के लिए प्रतिकूल परिस्थितियां पैदा होने की संभावना है और यदि भ्रूण को आगे विकसित होने दिया जाता है तो अजन्में बच्चे के जीवित रहने की संभावना बहुत कम है.' अदालत ने कहा कि यह भी एक तथ्य है कि याचिकाकर्ता को शारीरिक और मानसिक रूप से उसकी गर्भावस्था खत्म करने के लिए स्वस्थ पाया गया है और ऐसे में अदालत का विचार है कि याचिका स्वीकार किये जाने योग्य है.