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भारत में नफरत बढ़ी है, लेकिन देश छोड़ना समाधान नहीं : फारूक अब्दुल्ला - फारूक अब्दुल्ला

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (ex CM Farooq Abdullah) ने कहा कि देश मुश्किल दौर से गुजर रहा है, नफरतें बढ़ गई हैं मगर देश छोड़ने से नफरतें दूर नहीं होंगी.

farooq abdullah
फारूक अब्दुल्ला

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Published : Dec 23, 2022, 2:55 PM IST

Updated : Dec 23, 2022, 3:53 PM IST

नई दिल्ली :जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला (farooq abdullah) ने घाटी में ड्यूटी जॉइन नहीं करने वाले कश्मीरी पंडितों को सैलरी नहीं देने के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के एलान की आलोचना करते हुए कहा है कि उन्हें यह समझना चाहिए कि कश्मीरी पंडित घाटी क्यों नहीं जाना चाहते हैं. संसद भवन परिसर में मीडिया से बात करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार को यह समझना चाहिए कि कश्मीरी पंडित घाटी में क्यों नहीं जाना चाहते क्योंकि वहां सुरक्षा नहीं है.

उन्होंने कहा कि सरकार यह कहती थी कि अनुच्छेद 370 खत्म होगा तो आतंकवाद खत्म हो जाएगा लेकिन इसे खत्म हुए कितने साल हो गए, क्या आतंकवाद खत्म हुआ? ऐसे में क्या बेचारे (कश्मीरी पंडित) वहां मरने जाएंगे. नागरिकता कार्ड के मसले पर उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि हम सबके पास वोटर आईडी कार्ड, आधार कार्ड और पैन कार्ड है और भला कौन सा कार्ड चाहिए.

चीन के साथ तनाव के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि यह 1962 का भारत नहीं है. सेना देश को बचाने के लिए सीमा पर खड़ी है और आज हम सब तैयार है. चीन को अब गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए, अब उसको उसी की भाषा में जवाब दिया जाएगा. हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि रूस-यूक्रेन जंग के मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं यह कह चुके हैं कि जंग का जमाना खत्म हो गया इसलिए बातचीत होती रहनी चाहिए.

आरजेडी नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी के देश को मुसलमानों के लिए असुरक्षित बताने के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने 'जीना यहां मरना यहां, इसके सिवा जाना कहां.' गाने को गुनगुनाते हुए कहा कि यह सही है कि देश जरूर मुश्किल दौर से गुजर रहा है, नफरतें बढ़ गई हैं लेकिन देश छोड़ने से नफरतें दूर नहीं होगी. देश में रहकर इस आग को दूर करना पड़ेगा, खत्म करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के रामराज्य का मतलब था सब बराबर है और एक साथ मिलकर हमें आगे बढ़ना है. लेकिन अब हालत यह हो गई है कि शाहरुख खान के फिल्म के कपड़े के रंग को लेकर भी हंगामा हो रहा है.

पढ़ें- जम्मू कश्मीर में आतंकी फंडिंग मामले कई जगहों पर NIA की छापेमारी

(आईएएनएस)

Last Updated : Dec 23, 2022, 3:53 PM IST

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