नई दिल्ली : सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से हिंदुओं और ईसाइयों के खिलाफ सार्वजनिक रूप से अभद्र भाषा वाले क्लिप पर केरल सरकार को नोटिस जारी करने का आग्रह किया. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि कथित हेट स्पीच देने के लिए तमिलनाडु के एक डीएमके प्रवक्ता के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई. शीर्ष अदालत ने जोर देकर कहा कि जिस क्षण राजनीति और धर्म को अलग कर दिया जाएगा, तब राजनेता धर्म का उपयोग करना बंद कर देंगे.
न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मेहता ने कहा कि तमिलनाडु में सत्ताधारी पार्टी डीएमके के एक प्रवक्ता ने टीवी पर ब्राह्मणों के खिलाफ हेट स्पीच दिया और उस आदमी को एक प्राथमिकी का सामना भी नहीं करना पड़ता है और वह एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल का प्रवक्ता बना फिरता है. उन्होंने सार्वजनिक रूप से उपलब्ध केरल से क्लिप चलाने के लिए अदालत की अनुमति भी मांगी, जहां पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की रैली में हिंदुओं और ईसाइयों के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया था. हाल ही में, गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गठित एक न्यायाधिकरण ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि पीएफआई और उसके सात सहयोगियों को राजनीतिक लाभ के लिए प्रतिबंधित किया गया है.
मेहता ने कहा कि केरल की याचिकाकर्ता शाहीन अब्दुल्ला इस तथ्य को अदालत के संज्ञान में नहीं ला रही हैं, जहां बयान देने के लिए बच्चे का इस्तेमाल किया गया था, इससे अदालत की अंतरात्मा को झटका लगना चाहिए कि ऐसा कुछ हुआ है. केरल क्लिप के संदर्भ में न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा: हम यह जानते हैं. तब मेहता ने कहा कि अगर कोर्ट यह जानती है, तो अदालत को महाराष्ट्र में रैलियों में दिए गए हेट स्पीच के संबंध में याचिकाकर्ता द्वारा दायर अवमानना याचिका के साथ इस घटना का स्वत: संज्ञान लेना चाहिए था. सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति जोसेफ ने टिप्पणी की: राज्य शक्तिहीन है. मेहता ने तुरंत पलटवार किया: किसी राज्य के बारे में तो नहीं कह सकते, लेकिन केंद्र शक्तिहीन नहीं है. केंद्र ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगा रखा है. कृपया केरल राज्य को नोटिस जारी करें ताकि वह इसका जवाब दे.
पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति बी.वी.नागरथना भी शामिल हैं, ने मौखिक रूप से कहा: ऐसा क्यों है कि संविधान के लागू होने के बाद कुछ दशकों तक भारत में इस तरह के भाषण कभी नहीं थे. लेकिन मेहता ने कहा, इस तरह के भाषण हमेशा से होते रहे हैं, लेकिन कोर्ट ने अब संज्ञान लिया है. न्यायमूर्ति नागरत्न ने कहा कि तब इतना भाईचारा था, हमें कहते हुए दुख हो रहा है, अब दरारें आ गई हैं.. मैं कह रहा हूं कि इसके साथ हर नागरिक पर संयम होना चाहिए, हेट स्पीच चली जाएगी.. एक समाज के रूप में हम संयम क्यों नहीं रख रहे हैं.
मेहता ने कहा कि यह सभी धर्मों में होना चाहिए और याचिकाकर्ता को दूसरे राज्यों में भी अन्य धर्मों के तथ्यों को रिकॉर्ड पर लाना चाहिए. पीठ ने कहा कि जब राज्य एक तंत्र के साथ आएगा तो वह इसकी सराहना करेगा, जहां समाज में नफरत फैलाने वाले भाषणों पर अंकुश लगाया जा सके. मेहता ने कहा कि तंत्र पहले से मौजूद है, एक अपराध है, पुलिस स्टेशन इसे लेता है और तहसीन पूनावाला में फैसला हुआ है, लेकिन लोग चुनिंदा तरीके से अदालत जाते हैं.