नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने जंतर-मंतर के समीप पिछले महीने हुए एक कार्यक्रम के आयोजकों में से एक प्रीत सिंह को शुक्रवार को जमानत देते हुए कहा कि घृणा भाषण देने के मामले में अब उससे हिरासत में पूछताछ करने की आवश्यकता नहीं है. इस कार्यक्रम में साम्प्रदायिक नारेबाजी का आरोप है.
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने आरोपी को ₹50,000 के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानतें जमा करने पर यह राहत दी है. अदालत ने कहा, याचिकाकर्ता 10 अगस्त 2021 से हिरासत में है. याचिकाकर्ता से अब हिरासत में पूछताछ की जरूरत नहीं रही है अत: याचिकाकर्ता को र्50,000 के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानतें जमा करने पर जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है.
साथ ही अदालत ने शर्त रखी कि आरोपी अदालत की मंजूरी के बिना देश छोड़कर नहीं जा सकता और अगर घर के पते और मोबाइल फोन नंबर में कोई बदलाव होता है तो हलफनामे के जरिए उसकी सूचना दी जाएगी. न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार आरोपी दोपहर दो बजे के करीब घटनास्थल से चला गया था जबकि 'सह-आरोपियों ने उकसावे वाले मुख्य शब्द/नारे शाम करीब चार बजे लगाए.
अदालत ने कहा कि इस पर कोई राय व्यक्त करना उचित नहीं होगा कि क्या याचिकाकर्ता द्वारा बोले गए शब्द आईपीसी की धारा 153ए (घृणा भाषण) के तहत अपराध के दायरे में आते हैं. बहरहाल वीडियो फुटेज और याचिकाकर्ता के कॉल रिकॉर्ड के अनुसार याचिकाकर्ता दोपहर करीब दो बजे घटनास्थल से चला गया था जबकि सह-आरोपियों ने शाम करीब चार बजे मुख्य शब्द/नारे लगाए थे.
क्या है पूरा मामला