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यूपी में संक्रमण कम हुआ या टेस्टिंग, आंकड़ों ने खोली सरकार की पोल

उत्तर प्रदेश में कोरोना के खिलाफ गांवों में विशेष अभियान चलाया गया. इस दौरान संदिग्ध मरीजों की घर-घर जाकर कोरोना जांच की गई. सरकार से लेकर डब्ल्यूएचओ तक ने इसमें पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात ही साबित हुए. इस रिपोर्ट में पढ़िये कि यूपी में संक्रमण नहीं, टेस्टिंग कम हो रही है.

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Published : May 13, 2021, 8:19 PM IST

Updated : May 13, 2021, 10:53 PM IST

लखनऊ : देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार कमी दर्ज की जा रही है. आंकड़ों पर नजर डालें तो अप्रैल में एक वक्त 24 घंटे में नए केस 39 हजार तक पहुंच गए थे लेकिन मई महीने में रोजाना करीब 20 हजार केस सामने आ रहे हैं. नए मामलों में आई कमी को लेकर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है. लेकिन सवाल है कि क्या सच में प्रदेश में कोरोना संक्रमण कम हुआ है.

संक्रमण कम हुआ या टेस्टिंग ?

ये वो सवाल है जो कईयों के जहन में आ रहा होगा और इसका जवाब खुद सरकार के आंकड़ों में मिला है. दरअसल यूपी सरकार ने कोरोना के खिलाफ गांव-गांव में विशेष अभियान छेड़ा है जिसके तहत 5 मई से घर-घर जाकर कोरोना संदिग्धों के टेस्ट करवाए जा रहे हैं. खास बात ये है कि इस अभियान में सरकार से लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पूरी ताकत झोंक दी है. लेकिन अभियान से पहले और अभियान के दौरान टेस्टिंग के आंकड़ों की पड़ताल की गई तो पता चला कि अभियान के दौरान हुए कोरोना टेस्ट रूटीन में जुटाए जा रहे सैंपल से भी कम निकले.

अभियान के दिनों में टेस्टिंग आम दिनों से कम

5 मई से यूपी सरकार का ये अभियान शुरू हुआ. जिसके तहत 5 मई से 9 मई तक कुल 11 लाख 63 हजार 669 कोरोना टेस्ट हुए जबकि अभियान से पहले 30 अप्रैल से 4 मई तक 12 लाख 67 हजार 661 टेस्ट हुए. यानि अभियान के पांच दिनों में, अभियान से पहले के पांच दिनों से एक लाख टेस्ट कम हुए.

रोजाना 20,798 टेस्ट कम हुए

अभियान से पहले और अभियान के दौरान हुए टेस्ट पर नज़र डालें तो अभियान के दौरान 5 दिनों में 1,03,992 टेस्ट कम हुए. यानि रोजाना औसतन 20,798 टेस्ट कम हुए. वैसे 30 अप्रैल से 9 मई तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो 30 अप्रैल से लेकर 2 मई तक ढाई लाख से ज्यादा टेस्ट हुए. 2 मई को तो करीब 3 लाख के करीब टेस्ट हुए लेकिन उसके बाद 3 मई से 9 मई तक के आंकड़ों के मुताबिक एक भी दिन ऐसा नहीं था जब प्रदेश में 2.5 लाख टेस्टिंग हुई हो. इन 10 दिनों के दौरान 2 मई को सबसे ज्यादा 2,97,021 टेस्ट हुए और 4 मई को सबसे कम सिर्फ 2,08,558 टेस्ट हुए. यानि 4 मई को 2 मई के मुकाबले कुल 88,463 टेस्ट कम हुए. ऐसे में कम पॉजीटिव मामलों का सामने आना लाजमी है.

दलील जो गले नहीं उतरती

डब्ल्यूएचओ के स्टेट हेड डॉ. अमिताभ वाजपेयी के मुताबिक- WHO की टीम टेस्टिंग में नहीं लगाई गई. संस्था ने सिर्फ माइक्रो प्लान बनाने, स्टाफ ट्रेनिंग व टेक्निकल सपोर्ट किया. टेस्टिंग कितनी करनी थी, कितनी हुई. यह डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट व सीएमओ को देखना था.

वहीं प्रदेश के स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस नेगी के मुताबिक- अभियान में पर्याप्त टेस्टिंग हुई. गांव में संक्रमण रोकने के लिये यह जरूरी था. इसके लिए 10 लाख एंटीजन किट दी गई थीं. इस दौरान कोरोना के केस घटे. ऐसे में कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग में कमी आना स्वाभाविक है. लिहाजा, अभियान के दौरान भी टेस्ट का आंकड़ा उसी के आसपास रहा.

WHO ने क्यों की थी यूपी सरकार की तारीफ

उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार को कम करने के लिए प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अभियान चलाया. इस अभियान को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी यूपी सरकार की सराहना की थी. यूपी सरकार भी अपने इस कदम के लिए खुद ही अपनी पीठ थपथपा रही है. लेकिन टेस्ट के आंकड़ों में सरकार की पोल खुल रही है. अब अगर टेस्टिंग कम होगी तो लाजमी है कि पॉजीटिव मरीजों का आंकड़ा भी कम होगा. ऐसे में यूपी सरकार के अभियान के साथ-साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन की सराहना पर भी सवाल उठते हैं.

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Last Updated : May 13, 2021, 10:53 PM IST

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