ICAR Wheat Five New Varieties2023: भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल ने पूरे भारत के लिए तैयार की गेहूं की पांच नई किस्में, लागत कम और मुनाफा ज्यादा - गेहूं की नई किस्मों के बीज
ICAR Wheat Five New Varieties2023 भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल (ICAR) ने गेहूं की पांच नई किस्में दी हैं. ये किस्में राज्यों की जलवायु को ध्यान में रखकर तैयार की गई हैं. इनको किसान कम लागत में पैदा कर सकते हैं. इनसे गेहूं का उत्पादन भी बढ़ सकता है. आइए जानते हैं कि ये किस्में क्या हैं? इनके बीज कहां और कैसे मिलेंगे. (indian Institute of Wheat and Barley Research ICAR) (high yielding varieties of wheat) (top 5 variety of wheat2023)(ICAR best quality wheat variety in india2023)
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल ने तैयार की गेहूं की पांच नई किस्में
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल ने तैयार की गेहूं की पांच नई किस्में
करनाल: भारत के कई राज्यों में गेहूं पैदा होता है.इसकी मात्रा कहीं कम और कहीं ज्यादा है. इसकी वजह राज्यों की जलवायु है. एक ही किस्म के बीज से हर राज्य में अच्छी पैदावार नहीं हो सकती है. ऐसे में राज्यों की जलवायु के अनुसार बीज होने चाहिए. इसी कमी को पूरा किया है, भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल (ICAR)ने. ICAR ने पांच नई किस्में (top 5 variety of wheat) दी हैं. इनसे कम लागत में किसान अच्छी फसल पा सकता है.ये साल 2023 की भारत की बेस्ट क्वालिटी वेरायटी (best quality wheat variety in india 2023) हो सकती हैं. इन पांच किस्मों के नाम डी बी डब्ल्यू 370, डी बी डब्ल्यू 371, डी बी डब्ल्यू 372, डी बी डब्ल्यू 316 और डी बी डब्ल्यू 55 हैं.
18 से 20 अक्टूबर तक दिए जाएंगे गेहूं की नई किस्मों के बीज: बता दें कि भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल में आज से यानी 18 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक गेहूं की नई किस्मों के बीज वितरित किए जाएंगे. गेहूं की नई किस्मों के बीज उन्हीं किसानों को दिए जाएंगे, जिन्होंने IIWBR पोर्टल पर पंजीकरण कराया था.
नई किस्में इस आधार पर की गई हैं तैयार.
राज्यों की जलवायु के आधार पर तैयार की गई किस्में:संस्थान के निदेशकडॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया,'डी बी डब्ल्यू 370-71-72 ये तीनों किस्में उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के लिए तैयार की गई हैं.वहीं डी बी डब्ल्यू 316 पूर्वोत्तर भारत के लिए तैयार की गई हैं.डी बी डब्ल्यू 55 मध्य भारत के लिए तैयार की गई है.राज्यों की जलवायु के आधार पर संस्थान ने रिसर्च करके इन किस्मों को बनाया है. जलवायु के हिसाब से ये किस्में काफी अच्छा उत्पादन देने वाली साबित होंगी.' दरअसल फसल चक्र और कटाई के आधार पर भी नई किस्मों को तैयार किया गया है. कई स्थान पर गेहूं की बिजाई जल्दी हो जाती है इसलिए इन पांचों किस्मों को अगेती और पछेती में बांटा गया है. डी बी डब्ल्यू 370-71-72 किस्मों की बिजाई अगेती की जाती है, जो 25 अक्टूबर से शुरुआत होती है. वहीं, डी बी डब्ल्यू 316, डी बी डब्ल्यू 55 किस्मों की बिजाई पछेती की जाती है, जो बासमती धान की कटाई के बाद होती है.
ये हैं गेहूं की नई किस्में.
नई किस्मों से कितना हो सकता है उत्पादन: भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा,'इन पांचों किस्मों से उत्पादन बेहतर होगा. ये प्रति हेक्टेयर 80 क्विंटल तक की पैदावार दे सकती हैं. अगर किसान 15 अक्टूबर से गेहूं की बिजाई शुरू कर देता है तब ये संभव है. बिजाई देरी से करने पर प्रति हेक्टेयर प्रतिदिन 30 किलो पैदावार बिजाई के हिसाब से कम होती जाती है.' अभी किसानों को कुछ ही मात्रा में बीज दिए जा रहे हैं. ताकि वह इन बीजों की बिजाई करके खुद का बीज तैयार करें.
गेहूं की नई किस्म की खासियत.
160 दिन में पक कर होगी तैयार:वैसे गेहूं में दो से तीन बार सिंचाई की जाती है. इस बात को ध्यान में रखकर नई किस्मों को तैयार किया गया है. इनमें सिंचाई या पानी की जरूरत कम पड़ेगी. नई किस्मों के बीजों में रोगों का प्रकोप कम होगा. जलवायु के अनुसार रोग प्रतिरोधक क्षमता इन किस्मों की अच्छी है. बीजों को तैयार करते समय इलाके में होने वाले खास तरह के रोगों के अनुसार टेस्टिंग भी की गई है. संस्थान का कहना है कि फसल चक्र के अनुसार ये किस्में करीब 160 दिन में पक कर तैयार हो जाएंगी.
बीज वितरण की प्रक्रिया कब होगी शुरू और कैसे करें आवेदन ?: संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया,'जो बीज संस्थान से किसानों को दिया जा रहा है, इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि किसान अपने खेत में इस बीज को लगाकर आगे के लिए बीज तैयार करें. फिर इससे फसल लें. प्रति किस्म के हिसाब से 10 किलोग्राम बीज हम दे रहे हैं.' नई किस्म के बीज के लिए लिए संस्थान के आधिकारिक वेबसाइट पोर्टल पर आवेदन करना होगा. इसे 15 सितंबर से खोल दिया जाएगा.किसान अपने आधार कार्ड की कापी लगाकर आवेदन कर सकते हैं, जो किसान पहले आवेदन करेंगे. उनको पहले बीज दिया जाएगा. यह बीज केवल संस्थान से ही मिलेगा.संस्थान बीज को कूरियर के जरिए भी भेजने के लिए विचार कर रहा है.दूसरे राज्य के किसान भी आवेदन कर सकते हैं. दूसरे राज्यों के किसानों को करनाल आने की जरूरत नहीं होगी. हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश राजस्थान और मध्य प्रदेश के किसान संस्थान से बीज ले जाते हैं. संस्थान ने जो किस्में पहले तैयार की हैं. उनके बीज भी बांटे जाएंगे. नई पांच किस्मों के बीज बांटने का लक्ष्य संस्थान ने रखा है. करीब 2000 क्विंटल बीज बांटा जाएगा. अभी देश में गेहूं उत्पादन का टारगेट 112.47 मिलियन टन है. संस्थान को उम्मीद है कि इस उत्पादन लक्ष्य को पूरा करने में ये किस्मे मदद करेंगी.