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हरियाणा : प्राइवेट सेक्टर में स्थानीय लोगों को 75 फीसदी आरक्षण, अधिसूचना जारी

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन की वजह से खट्टर सरकार पहले से ही दबाव में है. आए दिन भाजपा नेताओं को उनके कोप का भाजन भी बनना पड़ता है. संभवतः यही वजह है कि प्रदेश सरकार ने स्थानीय युवाओं को खुश करने के लिए निजी क्षेत्रों में आरक्षण की गारंटी देने वाले कानून की अधिसूचना जारी कर दी. क्या है यह कानून और किसे मिलेगा फायदा, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.

jobs in haryana
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Published : Nov 7, 2021, 2:08 PM IST

चंडीगढ़ :हरियाणा की खट्टर सरकार ने निजी नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण वाले कानून की अधिसूचना जारी कर दी है. अगले साल 15 जनवरी से यह लागू होगा. कानून के दायरे में सभी कंपनियां, ट्रस्ट, सोसाइटी, फर्म और 10 से अधिक रोजगार देने वाली संस्था या कोई भी व्यक्ति आएगा. हालांकि, सरकार ने कहा है कि 30 हजार रुपये तक की निजी नौकरियों में ही यह आरक्षण लागू होगा. पहले यह सीमा 50 हजार रुपये तक थी. उद्योगपतियों की सलाह के बाद इसकी सीमा घटा दी गई है.

राज्य सरकार ने इसे लागू करने का आदेश जारी कर दिया है. कानून 15 जनवरी 2022 से लागू होगा. सरकार ने उद्योगों को कर्मचारियों का डेटा देने के लिए 15 जनवरी तक का वक्त दिया है. ऐलनाबाद उपचुनाव की आचार संहिता खत्म होने पर इसकी अधिसूचना जारी की गई है.

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश के युवाओं को बधाई देते हुए कहा कि युवाओं को किसी भी प्रकार की कोई चिंता करने की आवश्यकता नहीं है. प्रदेश सरकार हर समय उनके साथ खड़ी है और उनके लिए रोजगार के अवसर निरंतर सुनिश्चित कर रही है. वर्तमान राज्य सरकार ने सत्ता में आने से पूर्व यह वायदा किया था, जिसे सरकार ने महज 2 वर्षों के अंतराल में ही पूरा कर दिया है. यह एक अभूतपूर्व कदम है जिससे हजारों युवा लाभान्वित होंगे.

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उन्होंने कहा कि एक ओर जहां प्रदेश में सरकारी नौकरियां मेरिट के आधार पर दी जा रही हैं, वहीं दूसरी तरफ निजी क्षेत्र में अपने राज्य के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सुनिश्चित करना भी एक बड़ी उपलब्धि है. इन्हीं सब प्रयासों से हरियाणा सरकार का लक्ष्य 2024 तक हरियाणा को बेरोजगार मुक्त और रोजगार युक्त बनाना है. हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों को रोजगार अधिनियम, 2020 को 2 मार्च, 2021 को राज्य विधानसभा द्वारा विधिवत पारित किया गया था और हरियाणा के राज्यपाल द्वारा अनुमोदित किया गया था.

अधिसूचना की कॉपी

अब, उक्त अधिनियम की धारा 1 (3) के अनुसार, हरियाणा सरकार ने आधिकारिक राजपत्र में 6 नवंबर, 2021 को अधिसूचना जारी कर 15 जनवरी, 2022 को इसके प्रारंभ होने की तिथि निर्दिष्ट की है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने उक्त अधिनियम के तहत सकल मासिक वेतन या मजदूरी की ऊपरी सीमा को निर्दिष्ट करते हुए 6 नवंबर, 2021 को एक और अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत उक्त सीमा को पचास हजार रुपये से घटाकर तीस हजार रुपये कर दिया गया है. इसलिए अब उक्त अधिनियम 15 जनवरी, 2022 से प्रभावी होगा और उक्त तिथि से यह अधिनियम निजी क्षेत्र की कंपनियों, सोसायटियों, ट्रस्ट, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप फर्म, पार्टनरशिप फर्म के नियोक्ताओं और कोई भी व्यक्ति जो हरियाणा में निर्माण, व्यवसाय करने या कोई सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से वेतन, मजदूरी या अन्य पारिश्रमिक पर दस या अधिक व्यक्तियों को काम पर रखता है, पर लागू होगा.

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बता दें कि, इस योजना का हरियाणा के मूल निवासी को ही लाभ मिलेगा. उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के उपनिदेशक स्तर के अधिकारी इसकी निगरानी करेंगे. वहीं ईंट-भट्ठों पर ये नियम लागू नहीं होगा. इस योजना के तहत आईटीआई पास युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता मिलेगी. हरियाणा में फिलहाल 60 हजार पंजीकृत निजी उद्योग हैं. वास्तव में इनकी संख्या बहुत ज्यादा है, जिनका पंजीकरण चल रहा है. हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग से भी कुशल कर्मचारियों के बारे में जानकारी हासिल की जाएगी.

अगर कोई कंपनी, फैक्ट्री, संस्थान, ट्रस्ट अपने कर्मचारियों की जानकारी छुपाएगा तो उस पर जुर्माने का प्रावधान है. निजी सेक्टर में कार्यरत किसी भी कर्मचारी को हटाया नहीं जाएगा. 30 हजार रुपये तक की नौकरी वाले हर कर्मचारी को श्रम विभाग की वेबसाइट पर अपने नाम का पंजीकरण कराना होगा, यह निशुल्क है. इसकी जिम्मेदारी संबंधित कंपनी, फर्म अथवा रोजगार प्रदाता की होगी, जो कंपनी अपने कर्मचारी की सूचना पंजीकृत नहीं करवाएगी उसे हरियाणा स्टेट एम्प्लॉयमेंट टू लोकल कैंडिडेट्स एक्ट-2020 के सेक्शन-3 के तहत 25 हजार से एक लाख रुपये तक जुर्माना देना होगा.

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अगर फिर भी कंपनी कानून का उल्लंघन करती है तो उसे हर रोज पांच हजार रुपये का जुर्माना लगेगा. हरियाणा स्टेट एम्प्लॉयमेंट टू लोकल कैंडिडेट्स एक्ट-2020 प्रदेश के सभी निजी उद्योगों, फर्म अथवा हर उस रोजगार प्रदाता पर लागू होगा, जहां 10 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं. यह नियम पहले से कार्यरत कर्मचारियों पर लागू न होकर नई भर्तियों में लागू होगा.

वैसे, इस कानून का विरोध अब भी जारी है. भारतीय उद्योग जगत का कहना है कि इससे बहुराष्ट्रीय कंपनियां खुश नहीं हैं और वह राज्य से बाहर जा सकती हैं. उद्योग जगत का कहना है कि सरकार चाहे तो 25 फीसदी तक उद्योग जगत को सब्सिडी प्रदान करे.

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